सीएम इफेक्ट: एसी चैम्बर छोड़कर फील्ड में उतरे कलेक्टर 

- मप्र में नौकरशाही ने बदला पैटर्न,नवाचारों का सिलसिला शुरू 

   मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नौकरशाही को अपने कार्य करने के तौर तरीकों को समय रहते बदलकर जनता के बीच जाने की जो घुट्टी विगत महीनों में तूफानी क्षेत्रीय दौरे कर पिलाई थी उसने असर दिखाना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री कलेक्टरों को दो टूक शब्दों में कहा था कलेक्टरी करनी है तो एसी कमरों से बाहर निकलना पड़ेगा और जनता के बीच जाकर उनके दुःख तकलीफों का समाधान करना पड़ेगा। मप्र के कई जिलों के कलेक्टरों ने अपनी कार्यशैली मुख्यमंत्री की मंशानुरूप कर ली है। इसी साल नवंबर विधानसभा चुनाव हैं। जाहिर सरकार को गुस्ताखी पसंद नही आएगी। कुछ कलेक्टरों ने लीक से हटकर नवाचार किए हैं। जिनकी चर्चा होना स्वाभाविक है। 

 


विजय मत,भोपाल। 

राज्य के अंतिम छोर पर स्थित श्योपुर जिले का गांव बिलवाड़ा। खेत पर खड़ा दुखी किसान। सामने एक शख्स उसके कंधे पर हाथ रखकर कह रहा है कि चिंता मत करो, तुम्हें मुआवजे के साथ दूसरे लाभ दिलाएंगे। यह शख्स किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं, बल्कि सीएम शिवराज के पंसदीदा कलेक्टर शिवम वर्मा हैं। केवल शिवम वर्मा ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई कलेक्टर इसी अंदाज में काम कर रहे हैं। फिर चाहे डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा हो, मंडला की डॉ. सलोनी सिडाना, ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह या फिर भोपाल के नए  कलेक्टर आशीष सिंह।

हाथ में नंबर लिखा, टिफिन शेयर किया –
 राजधानी भोपाल में पदस्थ रहने के बाद डिंडोरी में पदस्थ किये गए विकास मिश्रा अपने कामों को लेकर खूब चर्चा में हैं। आदिवासी बाहुल्य  जिले में भी उन्होंने  नवाचार से सबका ध्यान खींच लिया और सीएम की भी तारीफ पाई। इन दिनों वे नदी सफाई अभियान चला रहे हैं। जिले की चकरार नदी गाड़ासराई में उन्होंने 9 अप्रैल को सफाई अभियान चलाया। इसके पहले एक कार्यक्रम में बच्चे के साथ टिफिन शेयर कर चर्चा में आए जबकि ज्वाइनिंग करने के बाद पहले दौरे में उन्होंने एक महिला के हाथ पर अपना नंबर लिख दिया था कि सीधे मुझे कॉल करना। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर आरोप लगाए लेकिन अच्छे काम के कारण कुछ न हुआ। 

ज्वाइनिंग करते ही अभिभावकों की चिंता की –
 भोपाल जिले के नव नियुक्त कलेक्टर आशीष सिंह ने ज्वाइन करते ही सबसे पहली चिंता स्कूली बच्चों के अभिभावकों के ऊपर पड़ने  वाली महंगी पुस्तकों के बोझ को लेकर की। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी स्कूल मजबूर नहीं कर सकता कि अभिभावक को कहां से किताब खरीदनी है। 11 अप्रैल को उन्होंने जनसुनवाई कार्यक्रम में एक-एक व्यक्ति से मुलाकात की और उनके मामले का तत्काल निराकरण किया।

जिला स्तर की सुनवाई ब्लॉक स्तर पर करने लगीं मंडला कलेक्टर –

 मंडला जिले की नवनियुक्त कलेक्टर डॉ सलोनी सिडाना ने जमीन पर उतरकर काम शुरू कर दिया है।  उन्होंने निर्देश दिए कि जनसुनवाई जिले भर में नहीं  अब ब्लॉक स्तर पर होगी, ताकि लोगों को परेशान नहीं होना पड़े। वे अचानक जिला अस्पताल पहुंची और मरीजों से बात करके पूछा कि उन्हें दिक्कत तो नहीं। इतना ही नहीं, उन्होंने अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट तक चेक की। जमीन पर बैठकर बात करते हुए उनका वीडियो खूब वायरल हो रहा है।

किसान के कंधे पर हाथ रखकर कहा, चिंता न करो, पूरी मदद मिलेगी -

 श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा जबरदस्त फार्म में है। आगजनी की एक घटना के बाद जब किसानों को नुकसान हुआ तो किसी नेता के अंदाज में सीधे जा पहुचे खेत। 10 अप्रैल को वे बिलवाड़ा गांव गए और यहां एक किसान के कंधे पर हाथ रखकर बोले कि चिंता न करो, पूरी मदद मिलेगी। मुआवजे के साथ दूसरी योजनाओं का भी लाभ देने का भरोसा उन्होंने किसानों को दिलाया। इसके पहले पच्चीपुरा गांव में भी खेत पर जाकर किसान से मिले। वे 8 अप्रैल को जिला अस्पताल श्योपुर गए थे और वहां उन्होंने ओपीडी में संसाधन के साथ तमाम इंतजाम खुद देखे।

धारा 144 तक लगा दी कलेक्टर ने- 

ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने निजी स्कूलों की दादागिरी खत्म करने के लिए स्कूली किताब और अन्य सामग्री खरीदी को लेकर धारा 144 लागू कर दी है ताकि बच्चों के माता पिता परेशान न हों और जहां चाहें सामग्री खरीदें।

न्यूज़ सोर्स : Vijay Mat