मप्र में फेल पुलिस कमिश्नर सिस्टम को पटरी पर लाने
और वित्तीय संकट से उबारने की चुनौती 

 


विजय शुक्ला।

विजय मत डॉट कॉम। राज्य के मुख्य सचिव को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की तलाश आखिरकार अब जाकर पूरी हुई है। वे काफी समय से प्रशासनिक नेतृत्व के लिए एक  ऐसे विजनरी आईएएस अधिकारी की तलाश कर रहे थे, जिसके भीतर मध्यप्रदेश की गहरी समझ,कुछ नया कर दिखाने की ललक और तंत्र को सुव्यवस्थित चलाने की समग्र सोच हो।
उन्हें यह तमाम खूबी 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अनुराग जैन में नजर आई। केंद्र ने अनुराग जैन को ऐसे समय में  नया मुख्य सचिव बनाने की मंजूरी दी है, जब मध्य प्रदेश गंभीर वित्तीय संकट और प्रशासनिक दुर्बलता की चपेट में है। वर्तमान में मध्य प्रदेश के सामने यही सबसे बड़ी दो चुनौतियां हैं, जिससे सरकार बहुत जल्दी पार पाना चाहती है।  दोनों ही दृष्टिकोण से देखें तो अनुराग जैन की नियुक्ति बड़े मायने रखती है । वर्तमान में मप्र  पर 3.90 लाख करोड रुपए का कर्ज है, जिसके चलते सरकार को  विभागों के बजट में कटौती करनी पड़ रही है । कई योजनाओं का काम पूरा करने के लिए सरकार  केंद्र के भरोसे है। राहत की बात यह है कि अनुराग जैन को वित्तीय मामलों की विशेषज्ञता हासिल है साथ ही केंद्र में लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न मंत्रालयों में काम करने के कारण  कामकाज की भी अच्छी समझ है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वह करीबी माने जाते हैं इसलिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कोई कमी आड़े नहीं आएगी । अनुराग जैन को मुख्य सचिव बनाए जाने से मध्य प्रदेश का सम्मान देश भर की ब्यूरोक्रेसी में बढ़ जाएगा क्योंकि उनके नाम और कार्यों के प्रताप से समस्त ब्यूरोक्रेसी चिर परिचित है।  यानी भोपाल से बैठकर पीएमओ तक संवाद करने में पहचान का संकट भी नहीं आएगा और वह राज्य की आवश्यकताओं से जुड़ी मांगों को पूरा करवाने में केंद्र और राज्य के बीच मजबूत सेतु होंगे। वर्ष 2020 से अनुराग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं । स्वाभाविक है , उनके पास अनुभव का खजाना है।  उन्हें नई योजनाएं बनाने और उसे सही तरीके से क्रियान्वित करने का कौशल प्राप्त है । प्रशासनिक कार्य कुशलता के लिए उन्हें पीएम अवार्ड भी मिल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी प्रशासनिक कार्य कुशलता के कायल हैं। मुख्य सचिव के संभावित नाम में वरिष्ठ आईएएस अफसर राजेश राजौरा और एसएन मिश्रा के नाम की चर्चाएं महीनों से चल रही थी। यह दोनों ही अफसर सीएम सचिवालय में पदस्थ हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने  वरिष्ठ आईएएस अफसर राघवेंद्र सिंह को प्रमुख सचिव बनाया।  इसके बाद  संजय शुक्ला की पदस्थापना प्रमुख सचिव के रूप में सीएम सचिवालय में की गई।  यानी मुख्यमंत्री ने अच्छा काम करने वाले काबिल अफसरों को महत्व देकर मध्य प्रदेश को आगे बढ़ाने में उन्हें साथ लिया है।  राघवेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव को सफलतापूर्वक आयोजित कराया। इससे  औद्योगिक नक्षत्र में मध्य प्रदेश की पहचान इससे बढ़ी है। मुख्यमंत्री पर निवेशकों ने भरोसा कर हजारों करोड़ों रुपए का निवेश किया है।  मुख्यमंत्री मोहन यादव की इस क्रांतिकारी पहल के अच्छे परिणाम आ रहे हैं। 
अब मुख्य सचिव के रूप में अनुराग जैन का आना मध्य प्रदेश के लिए न केवल उपयोगी है बल्कि शुभ संकेत भी कहा जा सकता है।  क्योंकि उनके आने से धंधेबाजों  की दुकान बंद हो जाएगी।  प्रशासनिक सुधार के अनेक नवाचार देखने को मिलेंगे । मोहन सरकार की संकल्पना को साकार करने में गति आएगी। कुल मिलाकर सीएम सचिवालय अब काफी मजबूत हो जाएगा। बीते कुछ महीनो में मध्य प्रदेश में घटी दुष्कर्म की घटनाओं ने मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं। इन घटनाओं का दोषारोपण मोहन सरकार पर सीधे तौर पर तो नहीं मढ़ा जा सकता लेकिन कानून व्यवस्था को चुस्त बनाने के उद्देश्य से बनाए गए  कमिश्नर सिस्टम को जिम्मेदार माना जाएगा।  कमिश्नर सिस्टम से कानून व्यवस्था में कोई बड़े परिवर्तन अथवा सुधार देखने में नहीं आए हैं बल्कि घटनाएं और बढ़ी है । जो अपने आप में कमिश्नर सिस्टम पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। सरकार को कमिश्नर सिस्टम की नए सिरे से समीक्षा करने की आवश्यकता है। कमिश्नर सिस्टम फिलहाल  निष्प्रभावी और अनुपयोगी ही साबित हुआ है। कैडर मैनेजमेंट  भी विसंगति पूर्ण है।  जिसे सुदृढ करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव पूर्ण मनोयोग से मध्य प्रदेश के समग्र विकास के लिए दृढ़ संकल्पित भाव से दिन-रात काम कर रहे हैं। यानी उनकी ओर से कोई कमी नहीं बरती जा रही है।  अनुराग जैन की ना तो कोई कमजोर नस है और ना ही कोई दाग । इसलिए उन पर कोई दबाव नहीं बन पाएगा। उन्हें ना तो अरबपति बनना है और ना ही उद्योगपति। इसलिए उनके मुख्य सचिव बनने से मध्य प्रदेश के विकास की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं। थोड़ी चिंता की बात यह जरूर है कि उनका कार्यकाल अगले वर्ष 30 अगस्त 2025 को समाप्त हो जाएगा । यानी लक्ष्य बड़ा है और समय कम  । हालांकि इस बात पर भरोसा किया जा सकता है कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से सेवावृद्धि मिल जाएगी।  निवर्तमान मुख्य सचिव वीरा राणा का कार्यकाल बात के लिए हमेशा याद किया जाएगा कि वह मध्य प्रदेश  की पहली महिला मुख्य सचिव रही हैं।  राज्य सरकार उन्हें राज्य निर्वाचन आयोग भेज सकती है।

न्यूज़ सोर्स : विजय मत