MPCA : सख्त फैसले और बेहतरीन नतीजों ने दिलाई खांडेकर को प्रेसिडेंट की दूसरी पारी
विजय मत विशेष || कवर स्टोरी
- सिंधिया का भरोसा और टीम का साथ बना ताकत
विजय शुक्ला, भोपाल
क्रिकेट के इतिहास में अभिलाष खांडेकर देश के दूसरे और मध्यप्रदेश के पहले अध्यक्ष हैं जो पत्रकारिता क्षेत्र से हैं। पत्रकार रजत शर्मा दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। खांडेकर दूसरी बार मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचित होने वाले देश के पहले पत्रकार व गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं। उनके साथ सचिव पद पर संजीव राव,उपाध्यक्ष रमणीक आहूजा, कोषाध्यक्ष पवन जैन और संयुक्त सचिव सिद्धयामि पाटनी भी निर्विरोध चुने गए हैं। यह इतना आसान नहीं है जितना कहने में लगता है। क्योंकि ग्लैमर के कारण क्रिकेट में राजनीतिक हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया है।
( सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोढ़ा कमेटी की सिफारिश लागू होने से चेयरमैन पद से ज्योतिरादित्य ने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उनका दबदबा बरकरार है। फाइल फोटो- केंद्रीय मंत्री सिंधिया और पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय जगदाले )
लोगों का मानना है कि मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन के संरक्षक और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी होने का लाभ खांडेकर को दूसरी बार भी अध्यक्ष बनवाने में सहायक सिद्ध हुआ है। जबकि ऐसा है नहीं। उनके प्रथम कार्यकाल में किए गए साहसिक सुधारवादी कदमों, सख्ती से लिये गए फैसलों तथा अनेकों नवाचारों से आए अच्छे नतीजों के फलस्वरूप ही सिंधिया व पूर्व अध्यक्ष रहे संजय जगदाले ने उन पर पुन: भरोसा किया है।
बतौर एमपीसीए अध्यक्ष खांडेकर एवं उनकी टीम की पहली पारी शानदार उपलब्धियों से परिपूर्ण रही है। लगभग 47 साल बाद पहली बार मध्यप्रदेश को रणजी ट्रॉफी विजेता का खिताब मिलना उपलब्धि की फेहरिस्त में एक गोल्डन हिस्ट्री है। यह बात सही है कि क्रिकेट में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते विकास प्रक्रिया में कई तरह की अड़चनें आती हैं लेकिन इस मामले में अभिलाष का कार्यकाल इक्का दुक्का मामलों को छोड़कर निर्विवाद रहा है। राजनीतिक पृष्ठभूमि से न होते हुए भी उन्होंने अपने कौशल से क्रिकेट एसोसिएशन के कार्यों को प्रभावी रूप से आगे बढाते हुए क्रिकेटर्स को एक बेहतर वातावरण देने की पुरजोर कोशिश की।
वस्तुत: मध्यप्रदेश क्रिकेट का आज विज्ञान, भूगोल, गणित और इतिहास सबकुछ बदल गया है। खांडेकर के नेतृत्व में मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की चमक पहले से और अधिक चमकदार हुई है। महिला क्रिकेट को बढ़ावा देना टीम खांडेकर के कार्यकाल की बड़ी सफलता कही जाएगी। इसी टीम के विजन, प्रोसेस और एक्जीक्यूशन की बदौलत मध्यप्रदेश का क्रिकेट आज भारत भर में अपनी योग्यता का लोहा मनवा रहा है।
पत्रकारिता में बीते चार दशक-
पेशे से पत्रकार खांडेकर की जिन्दगी के करीब चार दशक पत्रकारिता में बीते हैं। वे एक पर्यावरणविद, प्रकृति एवं वन्य प्रेमी हैं। खेल पत्रकारिता उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का पहली बार अध्यक्ष बनने के साथ ही उन्होंने एमपीसीए की कार्यप्रणाली में नए बदलावों पर कार्य किया।
बेधडक़ बोलने, प्रयोगवादी स्वभाव के लिए चर्चित खांडेकर ने सबसे पहले बड़ा फैसला लेते हुए मुख्य कोच के रूप में पूर्व रणजी खिलाड़ी चंद्रकांत पंडित को साथ लाकर उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी। इस निर्णय पर उन्हें विरोधियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन दृढ़ इरादों वाले अभिलाष ने अपना फैसला नहीं बदला। इन तीन वर्षों की कामयाबी में सीईओ रोहित पंडित की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
( 47 साल बाद मध्यप्रदेश पहली बार रणजी चैंपियनशिप जीता। फाइल फोटो- मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ट्राफी के साथ)
रणजी ट्रॉफी विजेता बनने का गौरव-
चंद्रकांत के मुख्य कोच बनने के बाद मध्यप्रदेश पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बना। यहां की क्रिकेट को दुनिया भर में आज एक नई पहचान मिली है। आप कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश के क्रिकेट सेंस के प्रति लोगों का नजरिया बदल गया है। महिला क्रिकेट को प्रोत्साहित करने के मामले में भी खांडेकर के आइडियाज कारगर साबित हुए हैं। एमपीसीए के प्रशासनिक मामलों को देख रहे मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) रोहित पंडित और सचिव संजीव राव के साथ मिलकर मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन के अध्यक्ष ने अनेकों नवाचारों को लागू किया। खासकर रोहित पंडित की प्रोसेस टेक्नोलॉजी ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
(फाइल फोटो- एमपीसीए सीईओ रोहित पंडित, जिन्होंने प्रोसेस पॉलिसी को असरदार बनाया )
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सामने अधोसंरचना विकास एक मुश्किल भरी चुनौती थी। क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर में नए बदलावों को लाए बिना उसे सार्थक परिणाममूलक नहीं बनाया जा सकता था। जिसे अभिलाष खांडेकर, संजय जगदाले और संजीव राव ने रोहित पंडित के साथ मिलकर बहुत हद तक बेहतर बनाने में सफलता प्राप्त की है। इन तमाम कार्य को करने में ज्योतिरादित्य सिंधिया और क्रिकेट एक्सपर्ट वरिष्ठ संजय जगदाले साथ खड़े रहे।
तीन वर्षों में बतौर अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के वर्क कल्चर में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। आयु सीमा संबधी विवादों को त्वरित न्याय सिद्धांत पर सीईओ रोहित पंडित ने निराकृत किया। प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार किए। यह चुनौती पूर्ण काम था।
( फाइल फोटो- एमपीसीए सचिव संजीव राव। पिछले चुनाव में 17 वोटो से चुनाव जीते लेकिन इस बार निर्विरोध निर्वाचित हुए। )
अभिलाष खांडेकर के पहले कार्यकाल को एमपीसीए में सुधारवाद एवं प्रयोगवाद के लिए हमेशा याद किया जाएगा। अधिकांश संभाग क्रिकेट एसोसिएशन के पास खुद के ग्राउंड नहीं थे, इस समस्या को काफी हद तक सुलझा लिया गया है। कई संभागो को स्वयं के खेल मैदान के लिए मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने जमीनें खरीद कर दे दीं हैं। कोंचिंग सेन्टर स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
महिलाओं को क्रिकेट में प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज मध्यप्रदेश महिला क्रिकेट टीम राष्ट्रीय स्तर पर काफी मजबूत होकर उभरी है तो इसके पीछे भी अभिलाष खांडेकर की सोच, रोहित पंडित की प्रोसेस, मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित की मॉनिटरिंग, संयुक्त सचिव सिद्धयानी पाटनी की सकारात्मक निगरानी है। अध्यक्ष के रूप में मिली दूसरी पारी के आगामी तीन साल में खांडेकर के सामने सम्भाग एवं जिला मुख्यालय पर क्रिकेट इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतरीन बनाने के साथ मध्यप्रदेश के दर्शकों के लिए अंतरराष्ट्रीय मैचों को आयोजित कराने की चुनौती होगी।
(फाइल फोटो- महा आर्यमन सिंधिया)
युवा पीढ़ी के रूप में महा आर्यमन सिंधिया की एन्ट्री -
राजनीतिक व्यक्ति होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दो बार एमपीसीए चेयरमैन रहे लेकिन उन्होंने राजनीतिक दखलंदाजी से परे जाकर काम किए। उनकी विरासत को उनके सुपत्र महा आर्यमन सिंधिया भविष्य में आगे बढ़ाएं इसलिए कई युवा चेहरों को एमपीसीए की प्रबंध समिति में नया सदस्य मनोनीत किया गया है। जिनमें अजय द्विवेदी, आदित्य विजय सिंह आदि जैसे चेहरे हैं। बीसीसीआई मध्यप्रदेश में मौजूदा क्रिकेट संचालन से संतुष्ट है। कुलमिलाकर कहा जाए तो अध्यक्ष के रूप में अभिलाष खांडेकर और एमपीसीए के बीते तीन साल बेमिसाल रहे हैं।