कांग्रेस की लुटती लंका, वायनाड सीट से अब प्रियंका .....

विजय शुक्ला। 
"पहले खुद का छौंका बाद में कांग्रेसियों को मौका"। जी हां। केरल की वायनाड सीट से लोकसभा उपचुनाव के उम्मीदवार का नाम  देखकर यही लग रहा है कि गांधी परिवार को सबसे पहले अपनी चिंता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की यही नियति बन गई है कि वे लाठी डंडे खाते रहें। गांधी परिवार के लिए जाजम बिछाते रहे। कांग्रेस हाई कमान यानी गांधी परिवार ने लोकसभा उपचुनाव के प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। 2024 के चुनाव में इस सीट से राहुल गांधी निर्वाचित हुए थे लेकिन बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी क्योंकि रायबरेली से निर्वाचित हुए हैं । खास बात यह है कि केरल की वायनाड सीट से गांधी परिवार ने पार्टी के कार्यकर्ताओं की दावेदारी को खारिज करते हुए अपने ही परिवार के एक सदस्य प्रियंका वाड्रा को प्रत्याशी बना दिया है।  प्रश्न उठता है गांधी परिवार एक तरफ तो अपने हितों को सर्वोपरि मानता है और दूसरी और देश की जनता को कांग्रेस पार्टी के नाम पर गुमराह करने का काम करता है। कार्यकर्ता तो उसके लिए बस एक मोहरे की तरह है, जिन्हें जब चाहा इस्तेमाल में ले लिया और बाद में काम के बाद फेंक दिया । पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ यह छलावा नहीं तो फिर और क्या है ? आपको बता दें राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। संसद में एक सदस्य गांधी परिवार का पहले से ही है तो अब दूसरे सदस्य को लोकसभा में ले जाने की तैयारी है। अपना काम बनता भाड़ में जाए कार्यकर्ता किसी को कहते हैं। कांग्रेस के धीरे-धीरे सिकुड़ते जाने की असली वजह यही है। कुछ दिन पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली पराजय के बाद दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हर के लिए अपनी पार्टी के नेताओं को दोषी ठहराया है।  बकौल राहुल गांधी- नेताओं के अपने हितों के कारण हरियाणा में कांग्रेस हारी।  वायनाड से प्रियंका वाड्रा को टिकट देना कौन सा हित है ? हरियाणा चुनाव की पराजय से भी कांग्रेस हाई कमान ने कुछ नहीं सीखा।  उसकी लंका लुटती जा रही।  गांधी परिवार के अहंकार के कारण अभी तक देश भर में लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता और कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन गए लेकिन कांग्रेस हाई कमान को कोई फर्क नहीं पड़ता। वायनाड से कांग्रेस ही चुनाव जीतेगी, यह जानते हुए भी गांधी परिवार ने किसी कार्यकर्ता को टिकट नहीं दी। मुमकिन है प्रियंका गांधी की चुनाव लड़ने के लिए अड़ गई हों। लोकसभा के चुनाव प्रचार में उन्होंने पार्टी के उम्मीदवारों को जीतने के लिए कड़ी मेहनत की है कदाचित इसी के बदले उन्हें सीट चुनाव लड़ने के लिए दी जा रही है।  यह भी यह भी कह सकते हैं कि संसद के भीतर गांधी फैमिली अपनी ताकत और बढ़ाना चाहता हो।  प्रियंका को पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर भी देखा जा रहा है। संभव है इसलिए भी उन्हें चुनाव लड़ाया जा रहा हो। प्रियंका की स्वीकार्यता देशभर में राहुल से अधिक है।  कुल मिलाकर  जो भी हो लेकिन एक आम कार्यकर्ता को टिकट न देना अच्छा संदेश तो नहीं कहा जाएगा। सांसद बनने का सपना तो प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा भी सालों से देख रहे हैं और मौके के इंतजार में बैठे हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस फैसले से खुश नहीं है।

न्यूज़ सोर्स : विजय मत