भोपाल ।  मध्य प्रदेश पुलिस में करीब 137 वर्ष से प्रचलित पुलिस एक्ट के उर्दू और फारसी के शब्दों को हटाकर उनके स्थान पर हिंदी के शब्दों का उपयोग किए जाने की तैयारी है। गृह विभाग ने इसका प्रस्ताव बना लिया है। अधिकारियों ने पुलिस एक्ट के बहुप्रचलित 675 ऐसे शब्दों का चयन किया है, जो उर्दू या फारसी भाषा से आते हैं। पुलिस या फिर कोर्ट की कार्यवाही में इन शब्दों का रोज प्रयोग होता है। पुलिस एक्ट की शब्दावली में परिवर्तन के लिए भाजपा विधायक यशपाल सिसोदिया विधानसभा में अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करेंगे। संकल्प पारित होने के बाद नए शब्दों का उपयोग शुरू कर दिया जाएगा।

हिंदी में विकल्प तलाश किए गए

भोपाल में सितंबर 2015 में विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके बाद ही पुलिस में प्रचलित उर्दू-फारसी के शब्दों को हटाने पर विचार शुरू हुआ। कई स्तर पर मंथन के बाद पुलिस एक्ट में ऐसे 675 शब्दों का चयन किया गया, जो उर्दू और फारसी से हैं। इन शब्दों के उपयुक्त और प्रभावी हिंदी विकल्प तलाश किए गए और सूची तैयार हुई।

आमजन को समझ नहीं आते शब्द

डीएसपी मदन मोहन समर (अभी नर्मदापुरम जिले में पदस्थ) ने नए पुलिस कर्मचारियों को नई शब्दावली के आधार पर एफआइआर लिखने और अन्य कार्य के लिए प्रशिक्षित भी किया है। समर बताते हैं कि पुलिस व्यवस्था में 1886 में उर्दू और फारसी के शब्द आए हैं। तब सरकारी कामकाज में यही भाषाएं बोली जाती थीं। अब इनमें से कुछ शब्द आमजन की समझ में नहीं आते हैं इसलिए जन सामान्य की भाषा पर ध्यान दिया गया।