एयर इंडिया का पहला विमान, जिसका नाम गौरीशंकर था वह आज ही के दिन यानी 26 जून 1982 को मुंबई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह विमान सिंगापुर से कुआलालंपुर और चेन्नई तब के मद्रास के रास्ते मुंबई आ रहा था। विमान के लैंडिंग की घोषणा जब की गई थी उस समय इसके अंदर कुल 111 यात्री सवार थे, जिसमें 12 चालक दल के सदस्य भी शामिल थे। हालांकि, इन सभी यात्रियों में से अधिकांश लोग रात के आगोश में सो रहे थे। विमान की लैंडिंग सुबह 4.37 बजे हुई और यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

चार इंजन वाला बोइंग का विमान 'गौरीशंकर' करीब 400 फीट की ऊंचाई से अचानक घने बादल को चीरते हुए बाहर आया और भारी बारिश एवं तूफानी हवाओं के कारण धराशायी हो गया। बोइंग 707 के इस विमान में लैंडिंग के बाद एक जोरदार धमाका हुआ और इसका एक इंजन फट गया। साथ ही साथ विमान 50 फीट की हवा में अचानक उछल गया। विमान उछले के बाद जब जमीन से टकराया तो इसका एक और इंजन विमान से अगल हो गया।

विमान जब कुछ देर बाद रनवे पर रुका तो वह तीन हिस्सों में टूट चुका था। इस घटना के बाद भी विमान के अंदर सवार 111 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से करीब 82 लोग सुरक्षित बच गए थे। हालांकि, इस विमान दुर्घटना में 17 लोगों की मौत हो गई थी और 12 लोग घायल हो गए थे। गनीमत ये रही की इतने खतरनाक तरीके से विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी आग नहीं लगी। मालूम हो कि उस विमान में भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण के सूत्रधार परमाणु ऊर्जा वैज्ञानिक डॉ. राजा रमन्ना भी शामिल थे।

विमान जब दुर्घटनाग्रस्त हुआ उस समय भीषण बारिश हो रही थी। हवाई अड्डा पर व्यवस्था इती खराब थी की विमान से जो यात्री बाहर निकलने में कामयाब हुए उनमें से कई बारिश में भीगते हुए ही पैदल चलकर टर्मिनस तक पहुंचे।  नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इस दुर्घटना की जांच शुरू कर दी और विमान के ब्लैक बॉक्स को अपने कब्जे में ले लिया।