भोपाल के सरकारी स्कूल में पांच बच्चों पर एक शिक्षक पदस्थ, लेकिन परिणाम 20 प्रतिशत से भी कम
भोपाल । प्रदेश में 21 हजार और राजधानी के 10 सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। ग्रामीण स्कूलों की स्थिति इससे कहीं ज्यादा खराब हैं। यहां तक कि कई सीएम राइज स्कूल भी शिक्षक विहिन हो गए हैं। वहीं भोपाल जिले के कुछ सरकारी स्कलों में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। 30 या 40 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन राजधानी के कुछ स्कूलों में पांच या 10 बच्चों पर एक शिक्षक उपलब्ध है। इसके बावजूद भी इन स्कूलों का 10वीं व 12वीं का परिणाम 20 व 30 प्रतिशत से भी कम है। पुराने भोपाल में आधे से एक किमी तक में तीन स्कूल में शिक्षकों की संख्या अधिक और विद्यार्थियों की संख्या कम है। इसमें शासकीय जहांगीरिया उमावि इब्राहिमपुरा, शासकीय हमीदिया क्रमांक-1 और क्रमांक -2 फूल महल में विद्यार्थियों की संख्या कम और शिक्षकाें की संख्या काफी अच्छी है। तीनों स्कूल में 572 बच्चों पर 75 शिक्षक पदस्थ हैं। इनमें से कई शिक्षकों को पढ़ाने के लिए कक्षाएं नहीं मिलने के कारण खाली बैठे रहते हैं।
24 शिक्षक और 182 बच्चे
-मोती मस्जिद स्थित हमीदिया क्रमांक-2 में 182 विद्यार्थी और 24 शिक्षक हैं।यहां पर सात बच्चों पर एक शिक्षक पदस्थ है, लेकिन 10वीं व 12वीं का परिणाम खराब है।10वीं का परिणाम 50 प्रतिशत व 12वीं का 38 प्रतिशत है।प्राचार्य अनामिका खरे कहती हैं कि आधा किमी में तीन स्कूल होने के कारण विद्यार्थियों की संख्या कम है।
-शासकीय जहांगीरिया उमावि इब्राहिमपुरा में पहली से 12वीं तक में 100 विद्यार्थी और 21 शिक्षक पदस्थ हैं। यानी पांच विद्यार्थी पर एक शिक्षक हैं। इसमें भी हर दिन करीब 40 से 50 बच्चे हर रोज आते हैं। अब ऐसे में स्कूल शिक्षक खाली बैठे रहते हैं। इस साल स्कूल का 10वीं का परिणाम 18.18 प्रतिशत व 12वीं का 8.10 प्रतिशत रहा है। प्राचार्य ऊषा खरे ने बताया कि परिणाम में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।कोविड के कारण इस वर्ष का परिणाम अधिक खराब हुआ है।
-शासकीय हमीदिया क्रमांक-1 में पहली से 12वीं तक में 290 विद्यार्थी हैं।यहां पर 30 शिक्षक हैं।यानी करीब नौ बच्चे पर एक शिक्षक पदस्थ है। यहां का इस साल 10वीं का परिणाम 39 प्रतिशत और 12वीं का 34 प्रतिशत रहा। प्राचार्य विमला शाह ने बताया कि स्कूल में विद्यार्थी कम आते हैं तो शिक्षक पढ़ा नहीं पाते हैं।इस कारण परिणाम में सुधार नहीं हो पा रहा है। उनके परिवार को जागरूक कर रहे हैं कि बच्चों को स्कूल भेजें।
इनका कहना है
जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम है और शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। ऐसे स्कूलों का प्रस्ताव बनाकर विभाग को सौपेंगे, ताकि इन्हें पास के स्कूल में मर्ज किया जा सके।
अंजनी कुमार त्रिपाठी, जिला शिक्षा अधिकारी