नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में यमुना बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे लोगों को मुफ्त राशन, चिकित्सा सहायता, स्वच्छता और अन्य आवश्यक सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर सुनवाई स्थगित कर दी। अधिवक्ता केआर शियास के माध्यम से दायर जनहित याचिका में दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत बाढ़ को प्राकृतिक आपदा के रूप में अधिसूचित करने और रुपये की तत्काल नकद सहायता प्रदान करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि 50 हजार से अधिक लोगों ने अपना सामान व आश्रय खो दिया है। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर आकाश भट्टाचार्य ने याचिका दायर कर तर्क दिया कि यमुना बाढ़ क्षेत्र में आई बाढ़ वर्ष 1978 के बाद से दिल्ली में आई सबसे विनाशकारी आपदा है।

अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण सैकड़ों गरीबों की आजीविका खो दी और उनका घर नष्ट हो गया। इतना ही नहीं उनके घरेलू सामान से लेकर महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बाढ़ में बह गए।