ग्वालियर | सोमवार देर रात क्राइम ब्रांच के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा एक युवक और उसके भाइयों के साथ मारपीट करने और उन्हें अलग-अलग बिना अपराध के कई थानों में बंद करने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने तत्कालीन चार थाना प्रभारी समेत 14 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किए हैं। साथ ही चार सप्ताह के भीतर उनसे जवाब-तलब किया है।

बता दें कि बिरला नगर में रहने वाले परिवादी यतेंद्र सिंह चौधरी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर करके दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्जकर सीआरपीसी की धारा-156 के तहत कार्रवाई करने का निवेदन किया है। ऐसे में परिवादी यतेंद्र सिंह द्वारा जिन लोगों पर आरोप लगाया गया है, उनमें पांच पुलिस अधिकारी, थाना प्रभारी आलोक परिहार, जितेंद्र मावई, राजेंद्र बर्मन, सुदेश तिवारी और संजू कामले के अलावा एक एएसआई और आठ आरक्षक शामिल हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पुलिसकर्मियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

एडवोकेट जितेन्द्र सिंह राठौर के माध्यम से दायर याचिका में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्जकर मामले की जांच कराने का निवेदन किया गया है। न्यायालय ने प्रतिवादी घनश्याम जाट, अनिल राजावत, संतोष भदौरिया, जितेन्द्र सिंह तोमर, लोकेन्द्र राजावत, रामसहाय यादव, अंजनी चंदेल, राहुल यादव सभी आरक्षक, सत्यवीर जाटव एएसआई, टीआई जीतेंद्र मावई, राजेन्द्र बर्मन, संजू कामले, सुदेश तिवारी और आलोक परिहार सभी थाना प्रभारी हैं, जिन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, यतेन्द्र सिंह जाट निवासी लाइन नंबर-12 बिरला नगर ने भारतीय दंड संहिता की धारा-452, 364, 364 ए, 365, 367, 368, 395, 397 भादंसं तथा 11 एवं 13 डकैती अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय में परिवाद पेश किया है।

यह  है मामला?
याचिका अनुसार, परिवादी यतेन्द्र सिंह जाट चार सितंबर 2018 को रात 10.21 बजे अपने घर पर खाना खा रहा था। तभी उसके घर में 8-10 लोग सिविल ड्रेस में जबरन घुसकर परिवादी व उसके भाइयों को मारने-पीटने लगे। परिवादी और उसके पिता गजेन्द्र सिंह व परिवादी की पत्नी ने उन्हें रोकने व बीच-बचाव करने का प्रयास किया। इस पर टीआई सुदेश तिवारी ने उस पर रिवॉल्वर तान दी थी। घनश्याम जाट ने सिर पर रिवाल्वर लगा दी। एक व्यक्ति ने परिवादी के पिता गजेन्द्र सिंह को धक्का दे दिया। परिवादी की पत्नी के साथ भी आरोपियों ने धक्का-मुक्की की। आरोपी उसके भाइयों को घर से बाहर लाकर मारते हुए ले जाने लगे। तभी पड़ोसी विनय परमार को इन लोगों ने पकड़ लिया।

एक आरोपी ने परिवादी का पर्स भी छीन लिया। आरोपी उनके मोबाइील तथा जेबों में रखे पैसे भी ले गए। वहीं, आरोपी उनकी कार को भी क्राइम ब्रांच थाने में ले गए। वहां परिवादी और उनके भाई की मारपीट की गई। इसके बाद परिवादी को यूनिवर्सिटी थाने ले जाकर बंद कर दिया गया। यहां पुष्पेन्द्र और विनय के साथ मारपीट की गई। यतेंद्र और कपिल को छह सितंबर 2018 को गोला का मंदिर थाने ले जाकर बंद कर दिया गया। जब उनके पिता ने न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन पेश किया तो पुलिस ने कपिल को छोड़ दिया। जबकि परिवादी और उसके भाई की गिरफ्तारी से पुलिस ने इनकार कर दिया था।

यह मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो पुलिस ने परिवादी को धारा-151 में तथा आठ सितंबर 2018 को पुष्पेन्द्र व विनय परमार को आबकारी एक्ट में बंद करना बताते हुए न्यायालय में पेश किया गया। परिवादी ने आरोपियों पर कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की, जिस पर न्यायालय ने एसपी को आवेदन देने और एसपी को 30 दिन में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई, जिसे न्यायालय ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता के साथ अवमानना याचिका खारिज कर दी थी।