क्या आपका गलत बिजली बिल शिकायत करने के सात दिन के भीतर नहीं सुधारा गया है? ट्रांसफॉर्मर फुंक गया है, लेकिन बार-बार फोन करने पर भी इंजीनियर ध्यान नहीं दे रहे हैं? तो अब आप आसानी से पहली समस्या के लिए 50 रुपये और दूसरी के लिए 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा पा सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को टोल फ्री नंबर 1912 पर पहले अपनी शिकायत दर्ज करानी होगी और फिर समय से समाधान न मिलने पर इसी नंबर पर मुआवजे के लिए आवेदन करना होगा।

यानी अब बिजली से जुड़ी समस्या में शिकायत के बाद भी समाधान नहीं होता है तो उपभोक्ता को मुआवजा मिलेगा। इस संबंध में पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने आदेश जारी कर दिया है। टोल फ्री नंबर 1912 पर मुआवजे की मांग करने पर उपभोक्ता को इसके लिए एक अलग शिकायत नंबर मिलेगा। फिर मुआवजा प्रक्रिया स्वतः ऑनलाइन शुरू हो जाएगी।

मुआवजे का हकदार पाए जाने पर इसे उपभोक्ता के बिल में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए पावर कॉर्पोरेशन ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार करवा लिया है। अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिल जाएगा। हालांकि, बकाएदार उपभोक्ताओं को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।

फिक्स चार्ज का अधिकतम 30% ही मिलेगा मुआवजा

प्रदेश में सिटीजन चार्टर ''उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (प्रदर्शन का मानक) विनियमावली-2019'' फरवरी 2020 से लागू है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि कौन सी सुविधा तय समय के भीतर न मिलने पर उपभोक्ता कितना मुआवजा ले सकते हैं। मगर इसका समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। मुआवजा पाने की प्रक्रिया को आसान करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद भी लगातार आवाज उठा रहा था।

पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने आदेश में कहा है कि नियामक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रावधानों व नियमों का पालन करने के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इसी क्रम में ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं को कस्टमर केयर सेंटर के टोल फ्री नंबर 1912 के माध्यम से आवेदन करने और क्षतिपूर्ति करने का प्रावधान कर दिया गया है।

इसके मुताबिक सेवाओं में कमी और समस्याओं का हल नहीं मिलने पर उपभोक्ता मुआवजे का हकदार होंगे। हालांकि उपभोक्ता को एक वित्त वर्ष में उसके फिक्स चार्ज या डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर किसी उपभोक्ता का 1 किलोवाट का भार है और महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है, तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ। उस उपभोक्ता को उस वित्त वर्ष में अधिकतम 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा।