भोपाल ।    सिंधी समाज के सम्मेलन में सरसंघचालक डा़ मोहन भागवत ने पाक अधिकृत सिंधु प्रांत को लेकर कहा कि ये विभाजन कृत्रिम था। भारत खंडित हो गया, खंडित शरीर को जोड़ना पड़ता है। हमने मन से नहीं छोड़ा। हमको भारत को बसाना है। वह कैसे बसेगा, मैं नहीं जानता। मेरी बात का यह मतलब भी कतई नहीं है कि भारत, पाकिस्तान पर आक्रमण कर देगा। हम उस संस्कृति से हैं जो रक्षा के लिए मुंहतोड़ जवाब देती है। लोगों के ही मन में आएगा और हो जाएगा, जैसे भी होना है। सत्य मेव जयते का देश है, अखंड भारत सत्य है, खंडित दुष्वप्न है, जो धीरे-धीरे जा रहा है। सम्मेलन अमर बलिदानी हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी वर्ष में भोपाल स्थित भेल दशहरा मैदान में आयोजित हुआ। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक प्रतिशत प्रीमियम लेकर सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि के पट्टे देने, बलिदानियों के सम्मान में संग्रहालय बनाने और मनुआभान की टेकरी पर बलिदानी हेमू कालाणी की प्रतिमा लगाने, सम्राट दाहिर सेन, हेमू कालाणी सहित एक अन्य बलिदानी की जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने, सिंधु दर्शन के लिए 25 हजार अनुदान देंगे और सिंधु साहित्य अकादमी का बजट बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये करने की घोषणा की।

डा. भागवत ने कहा कि हमने उस भूमि काे शारीरिक दृष्टि से छोड़ा, पर कोई पूछेगा कि 1947 से पहले वह क्या था, तो बताना पड़ेगा कि भारत था। सिंधु से ही हिंदू कहा जाता है। हम अखंड भारत कहें तो सिंधु सभ्यता को नहीं भूल सकते हैं। ये नाता नहीं तोड़ सकते। ऐसे व्यक्ति से सीमांकन कराया, जिसे जानकारी नहीं थी। उसने जाते समय कहा कि मैंने क्या किया मैं भी नहीं जानता। मैं एक्सपर्ट नहीं हूं, तीन माह समय भी कम था। योगी अरविंद ने कहा था कि इसको जाना पड़ेगा। आज पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि गलती हो गई। जो भारत से अलग हुए, वे दुखी हैं, जो यहां आए, वे सफल। गलती का सुधार करने की बात करने में क्या लज्जा है। आप तैयार रहिए, कैसे होगा, क्या होगा, मैं नहीं जानता। उन्होंने कहा कि वहां से आए लोगाें को वहां फिर से भारत बसाना पड़ेगा। आप दोनों तरफ का भारत जानते हो, आप बसा सकते हो। डा़ भागवत ने बलिदानी हेमू कालाणी को याद रखते हुए कहा कि जैसे उन्होंने देशहित में सर्वस्व त्याग दिया, वैसे ही छोटे स्वार्थों को छोड़कर वैसा होने का प्रयास करना। सिंध की सभ्यता, परंपरा को मत भूलना। जमीन से उखड़ गए, इसलिए इधर-उधर नहीं जाना, जो यहां पैदा हुए उनका सिंध से लगाव बढ़ाना पड़ेगा।

ये भीख नहीं आपका अधिकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जड़ों को छोड़ने का दर्द रहता है। संस्कृति के लिए जमीन छोड़ने पर प्रणाम करता हूं। शून्य से शुरू करके खुद को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि एक प्रतिशत प्रीमियम लेकर सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि का मालिकाना हक देंगे। यह आदेश आज ही जारी होंगे। यह भीख नहीं आपका अधिकार है।

राज्य में सुरक्षित नहीं है सिंधी समाज

वहीं समाज के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम ने कहा कि राज्य में सिंधी समाज सुरक्षित नहीं है। इंदौर में सिंधी ठिकानों पर हमले पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भी मदद नहीं की, मुख्यमंत्री जी आप देखें। ऐसे ही काशी में गुमठियां उठा लीं पर सरकार का ध्यान नहीं है। हम अपनी जमीन छोड़कर सिंध से हिंद आएं हैं। समाज से कहा-हमें किसी सरकार से नहीं डरना बस एक हो जाएं। तभी बात सुनी जाएगी। विशेष शिविर लगाए जाएंगे : सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि का मालिकाना हक देने के लिए शिविर लगाए जाएंगे। जिनमें निर्धारित प्रीमियम जमा करने पर संबंधित भूमि के पट्टे दिए जाएंगे।

प्रीमियम की नई दरें

भूमि का क्षेत्रफल -- नई दरें -- वर्तमान दरें

45 वर्ग मीटर तक -- निश्शुल्क -- निश्शुल्क

150 वर्ग मीटर तक -- एक प्रतिशत -- पांच प्रतिशत

150 से 200 वर्ग मीटर तक -- एक प्रतिशत -- 10 प्रतिशत

20 वर्ग मीटर तक व्यावसायिक उपयोग के भूखंड -- पांच प्रतिशत -- 25 प्रतिशत

अमर बलिदानी हेमू कालानी जन्म शताब्दी समारोह के संयोजक भगवानदास सबनानी ने बताया कि देश के स्वतंत्र होने के बाद इन 75 सालों में इस प्रकार का यह पहला आयोजन है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में सिंधी समाज के भाइयों और बहनों का समागम भोपाल के भेल दशहरा मैदान में हुआ है।