उत्तर प्रदेश| उत्तर प्रदेश का मौसम बृहस्पतिवार से बदलने के आसार हैं। मौसम विभाग ने बारिश, बिजली और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 30 मार्च की सुबह से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदला मौसम रंग दिखाएगा। 31 मार्च को पूरा प्रदेश बारिश से तरबतर होने के आसार हैं। दो अप्रैल से फिर मौसम खुलेगा।

आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र लखनऊ के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, अफ़ग़ानिस्तान से उत्तर पश्चिमी भारत की ओर पश्चिमी विक्षोभ बढ़ रहा है। वहीं दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के निचले क्षोभमंडल में चक्रवाती स्थितियां बनी हुई हैं। बंगाल की खाड़ी से चलने वाली नमीयुक्त पुरवा हवा और अरबसागर से उठनी वाली पछुआ हवाएं साथ मिलकर गरज-चमक, बारिश और ओलावृष्टि का कारण बनेंगी।

हवाओं का प्रभाव प्रदेश में अधिकतम होने के कारण वर्षा के क्षेत्रीय वितरण एवं तीव्रता में वृद्धि होने के साथ राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में हलकी से मध्यम बारिश होने की संभावना है| इस दौरान प्रदेश के कुछ हिस्सों में झोंकेदार हवाओं के साथ 31 मार्च को ओलावृष्टि होने की भी संभावना बन रही है। एक अप्रैल से प्रभाव घटेगा और बारिश की तीव्रता कम होगी। दो अप्रैल को लखनऊ समेत प्रदेश में मौसम शुष्क हो जाने की आशंका है।

ओलावष्टि की आशंका इन क्षेत्रों में अधिक है

मौसम विभाग के मुताबिक, यूं तो प्रदेश में जगहों पर ओलावृष्टि की आशंका है। पर इन जिलों में सर्वाधिक है, जैसे आगरा, अलीगढ़, अमरोहा, बदायूं, बागपत, बरेली, बिजनौर, एटा, फिरोजाबाद, हरदोई, हाथरस, लखीमपुरखीरी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, संभल, शाहजहांपुर, शामली, सीतापुर और श्रावस्ती।

दिनभर चली पछुआ, शाम को छाई बदली

लखनऊ में मौसम ने बुधवार को कई रंग दिखाए। सुबह कड़ी धूप से अधिकतम तापमान 34 डिग्री तक पहुंच गया। दोपहर में चलीं पछुआ हवाओं ने मौसम में बदलाव के संकेत दिए। शाम को पांच बजे के करीब बदली छा गई। रात का तापमान 18.5 डिग्री दर्ज हुआ। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और हवाएं मौसम में बदलाव ला रही हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, 31 मार्च को लखनऊ में भी तेज बारिश, हवाएं, ओले और मेघ गर्जन के आसार हैं। मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि कृषि व धान मंडियों में खुले में रखे अनाज का सुरक्षित स्थान पर भंडारण कर लें। पक कर तैयार फसलों को भी सुरक्षित कर लें।