नई दिल्ली । 27 अक्टूबर को जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022 के मद्देनजर देश में टीबी के निदान, उपचार और बीमारी के बोझ पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को नोट किया गया है।  स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा सन 2021 के लिए भारत की टीबी की घटना प्रति 100,000 जनसंख्या पर 210 है, जबकि 2015 में भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर 256 लोगों को टीबी थी। इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि देश में टीबी में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो वैश्विक औसत 11 प्रतिशत से 7 प्रतिशत अंक बेहतर है। ये आंकड़े भी घटनाओं की दर के मामले में भारत को 36वें स्थान पर रखते हैं।
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में टीबी कार्यक्रमों को प्रभावित किया है, भारत 2020 और 2021 में महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों की शुरूआत के माध्यम से होने वाले व्यवधानों को सफलतापूर्वक दूर करने में सक्षम था- इसके कारण राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में 21.4 लाख से अधिक टीबी मामलों को अधिसूचित किया गया, जो 2020 की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक हैं। 2021 में, 22 करोड़ से अधिक लोगों की टीबी की जांच की गई। इसका उद्देश्य समुदाय में बीमारी के आगे संचरण को रोकने के लिए और अधिक मामलों का पता लगाना है, जिसने घटनाओं में गिरावट में योगदान दिया है। 
स्वदेशी रूप से विकसित आणविक निदान ने आज देश के हर हिस्से में निदान की पहुंच का विस्तार करने में मदद की है। भारत के पास देश भर में 4,760 से अधिक मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक मशीनें हैं, जो हर जिले में हैं।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, और वैश्विक रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ को सूचित किया था कि मंत्रालय ने व्यवस्थित तरीके से घटनाओं और मृत्यु दर के अधिक सटीक अनुमान पर पहुंचने के लिए घरेलू अध्ययन शुरू कर दिया है और भारत का डेटा 2023 की शुरूआत में अध्ययन के समापन के बाद उपलब्ध कराया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय की स्थिति को भी स्वीकार किया है और रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 2000-2021 के लिए भारत में टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर के अनुमान अंतरिम हैं और भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श से अंतिम रूप दिए जाने के अधीन हैं।
डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट भी सक्रिय टीबी रोग के विकास के लिए एक सहायक कारक के रूप में पोषण और अल्प पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को नोट करती है। इस संबंध में, मंत्रालय ने कहा, टीबी कार्यक्रम की पोषण सहायता योजना- नि-क्षय पोषण योजना- कमजोर लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है। इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा 2020 और 2021 के दौरान, भारत ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कार्यक्रम के माध्यम से टीबी रोगियों को 89 मिलियन डॉलर (670 करोड़) का नकद हस्तांतरण किया।