अनुच्छेद 142: कानून से परे जाकर न्याय! उपराष्ट्रपति की तीखी टिप्पणी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका और विधायिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप को लेकर तीखे सवाल उठाए. राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश देने मद्देनजर उन्होंने कहा कि देश ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे. कार्यपालिका का काम भी काम खुद ही करेंगे और सुपर संसद की तरह काम करेंगे. उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद-142 न्यायपालिका के लिए न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है. लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है. आइए जानते हैं अनुच्छेद-142 के बारे में कुछ खास बातें.
- सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद-142 के तहत मिली अपरिहार्य शक्ति से संविधान में बदलाव नहीं कर सकता, व्याख्या कर सकता है. राष्ट्रपति का पॉकेट वीटो संविधान के संरक्षण का जिम्मा है. कई मौकों पर विधेयकों को पॉकेट वीटो के तहत रोके रखना राजनीतिक महात्वाकांक्षा, जो देशहित में नहीं है, उसके मद्देनजर जरूरी होता है.
- राज्यों में राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होते हैं. ऐसे में संविधान के तहत मिली उनकी शक्तियों में निर्वात होने पर सुप्रीम कोर्ट परिभाषित कर सकता है. मगर, उसको नया रूप नहीं दे सकता.
- राष्ट्रपति की शपथ के मुताबिक, यह पद संविधान के परिरक्षण, सुरक्षा और प्रतिरक्षण के लिए है. जबकि अन्य संवैधानिक पद शपथ में संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा पर आधारित हैं.
- शपथ ही अंतर स्पष्ट करती है कि राष्ट्रपति को प्रक्रियागत आदेश भी नहीं दिया जा सकता. जबकि संविधान में स्थिति स्पष्ट हो, अगर निर्वात है तो न्यायिक समीक्षा में व्याख्या की जा सकती है.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या-क्या कहा?
उपराष्ट्रपति ने कहा, देश ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम भी काम खुद ही करेंगे और सुपर संसद की तरह काम करेंगे. हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है. आखिर हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है?
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें बेहद संवेदनशील होना होगा. ये कोई समीक्षा दायर करने या न करने का सवाल नहीं है. राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा जा रहा है. अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित विधेयक कानून बन जाता है. अनुच्छेद-142 न्यायपालिका के लिए न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है. इसका उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है.