दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने कॉलेजों को कार्बन मुक्त बनाने के लिए बड़ा कदम बढ़ाया है। विवि ग्रीन टेरे फाउंडेशन के सहयोग से मंगलवार को ‘यू 75: नेशनल मूवमेंट ऑफ नेट-जीरो यूनिवर्सिटी कैंपस’ कार्यशाला का आयोजन करेगा। इस कार्यशाला में छात्रों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के सुझावों के बारे में बताया जाएगा। यह नार्थ कैंपस के लगभग 30 कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों को एक साथ लाएगा। ताकि वे कार्बन तटस्थ परिसर के लिए रोडमैप तैयार करना शुरू कर दें।

इस संबंध में डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि बढ़ते जलवायु संकट की पृष्ठभूमि में यह कार्यशाला छात्रों को डिजिटल निगरानी और लागत प्रभावी प्रथाओं के साथ नेट-जीरो प्रौद्योगिकियों और उपकरणों को लागू करने से संबंधित जानकारी देगा। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए कॉलेजों की नेटवर्किंग के लिए मंच प्रदान करेगी। इसके लिए डीयू से नॉर्थ कैंपस के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी। 
उन्होंने बताया कि यह पश्चिमी क्षेत्र से पुणे विश्वविद्यालय से शुरू हुआ। फिर ये चेन्नई में एसआरएमआईएसटी विश्वविद्यालय से दक्षिणी भारत तक पहुंचा और अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि ‘नेट जीरो यूनिवर्सिटी कैंपस’ एक परिवर्तनकारी आंदोलन होगा। ये एनईपी 2020 और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन लाइफ के साथ जुड़ा हुआ है। यह भारत में 2070 तक कार्बन मुक्त होने का आह्वान करता है।

उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे ये अतिथि

इस दौरान यूनेस्को, विद्युत मंत्रालय, यूएनडीपी, एसोचैम और डिजिटल वर्ल्ड के विशेषज्ञ रिसोर्स पर्सन की रूप में शामिल होंगे। वहीं, उद्घाटन सत्र में सांसद और पूर्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित होंगे। और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व यूएसजी एरिक सोल्हेम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस अवसर पर एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टीजी सीतारमण और ग्रीन टेरे फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक व यूएनईपी के पूर्व निदेशक डॉ. राजेंद्र शेंडे भी मौजूद रहेंगे।