भोपाल। शहडोल वन वृत्त में कुछ अधिकारियों द्वारा शिकारियों को संरक्षण दिए जाने की आहट वन विभाग को मिल रही है। यही कारण है कि इस पूरे क्षेत्र में पिछले तीन सालों में हुई बाघों की मौत की जांच के लिए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने तीन सदस्यीय एक जांच टीम का गठन भी कर दिया है। हालांकि इस टीम में एक ही विशेषज्ञ है जबकि दो सदस्य वाइल्ड लाइफ की साधारण जानकारी रखने वाले लोग ही हैं।
तीन सदस्यों की इस टीम में रितेश सरोठिया भारतीय वन सेवा, प्रभारी स्टेट टाइगर स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स म.प्र. भोपाल समिति के अध्यक्ष होंगे जबकि सदस्य के रूप में डॉ. काजल जाधव, सहायक प्राध्यापक स्कूल आफ वाइल्ड लाईफ फॉरेन्सिक एन्ड हेल्थ जबलपुर और सुश्री मंजुला श्रीवास्तव अधिवक्ता एवं मानसेवी वन्यप्राणी अभिरक्षक कटनी मध्यप्रदेश को शामिल किया गया है। यह टीम बाघों की मौत के दस्तावेजों शिकारियों के पग मार्क तलाशने की कोशिश करेगी।
शहडोल वन वृत्त के अंतर्गत वर्ष 2021 से वर्ष 2023 तक कुल तीन साल में अकेले उमरिया जिले में 35 बाघों की मौत हुई है। इसमें सबसे ज्यादा लगभग 30 बाघों की जान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गई। आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें से ज्यादातर मौतों को बाघों के बीच होने वाले आपसी संघर्ष की वजह से बताया गया। वन विभाग को गोपनीय जानकारी मिली है कि इनमें से कई बाघों की मौत सामान्य ढंग से होने वाले आपसी संधर्ष में नहीं हुई बल्कि उनकी मौत का कोई और ही कारण था। खासतौर से वर्ष 2021 में होने वाली कुछ बाघों की मौत बेहद संदेहजनक है और संभवत: प्रमाणिक भी है कि वह शिकार के कारण हुई है। वर्ष 2021 में बांधवगढ़ और घुनघुटी के जंगल सहित उमरिया जिले में कुल 15 बाघों की मौत हुई थी। यह मौत प्रमाणि शिकार19 जनवरी 2021 को दमना बीट में एक बाघ शावक की मौत बड़े ही संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। बाघ शावक की मौत को पार्क प्रबंधन ने पूरी तरह से छुपा लिया था। बाद में चुपचाप बाघ का पीएम करा कर उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया। इसी तरह 14 मई 2021 एक बाघ का शव मानपुर परिक्षेत्र में जमीन में दबा हुआ मिला था जो साफ-साफ शिकार का परिणाम था। 29 अगस्त 2021 को मानपुर परिक्षेत्र के दमना बीट में एक कुएं में 14 वर्षीय बाघिन का शव मिला था। जिसका शिकार गले में फंदा डालकर किया गया था और बाद में उसके नाखून और दांत तोडक़र कुएं में फेंक दिया गया था।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मध्यप्रदेश द्वारा जांच के लिए बनाई गई टीम के बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी डायरेक्टर बांधवगढ़ पीके वर्मा ने बताया कि यह टीम पिछले तीन साल में मरने वाले बाघों के मामले में जांच करेगी। यह टीम बाघों के शव की पीएम रिपोर्ट और फोरेंसिक रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। साथ ही उस समय के फोटो और वीडियो भी टीम के सदस्य देखेंगे। यह टीम उन स्थानों पर भी जाएगी जहां बाघों के शव पाए गए थे। घटना के दौरान जांच करने वाले अधिकारियों और पीएम करने वाले उॉक्टरों से भी यह टीम चर्चा करेगी। खासतौर से यह टीम बाघों की मौत के बताए गए कारणों पर सवाल-जवाब करेगी और नतीजे निकालेगी।
2021 में बाघों की मौत
19 जनवरी 2021 को दमना बीट में एक बाघ शावक की मौत हुई है। बाघ शावक की मौत को पार्क प्रबंधन ने पूरी तरह से छुपा लिया है। चुपचाप बाघ का पीएम करा कर उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया।14 एवं 15 फरवरी 2021 की दरम्यानी रात पनपथा बफर परिक्षेत्र की जाजागढ़ बीट के कक्ष क्रमांक आरएफ 395 मे भदार नदी के किनारे बमरघाट में बाघों की लडाई हुई थी जिसमें एक बाघ की मौत हो गई। 29 मार्च 2021 को एक बाघिन का शव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी जोन की रोहनिया बीट में पाया गया था। अनुमान लगाया जा रहा है कि बाघिन की मौत 3 से 4 दिन पहले हो गई थी।