नई दिल्ली । चुनाव प्रचार के दौरान जम्मू कश्मीर से तमिलनाडु और मेघालय से गुजरात की दूरी तय करने के लिए नेता उड़नखटोले का इस्तेमाल करेंगे। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों आलम यह है कि हर छोटी या बड़ी राजनीतिक पार्टियां चार्टर्ड हेलीकॉप्टर या विमान सेवा की सेवा उपलब्ध कराने वाले ऑपरेटरों से संपर्क साध रही हैं। सबसे अधिक मांग हेलीकॉप्टर की है, लेकिन देश में नान शेड्यूल ऑपरेटरों के पास सीमित संख्या में ही हेलीकॉप्टर हैं। ऐसे में, मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाना इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों के लिए एक बड़ी चुनौती है। चार्टर्ड हेलीकॉप्टर और विमान उपलब्ध कराने से जुड़ी कंपनी फ्लाइंग बर्ड्स एविएशन के सीईओ आशीष कुमार ने बताया कि देश में हेलीकॉप्टर बहुत ही सीमित संख्या में हैं। सरकारी और अर्ध सरकारी विभागों को छोड़ दें, तो निजी क्षेत्र के पास करीब 160 हेलीकॉप्टर ही हैं। इस संख्या का अधिकांश हिस्सा बड़े कारपोरेट घरानों के पास है। ऐसे में, हेलीकॉप्टरों की संख्या सीमित है। देखा जाए, तो करीब 40 हेलीकॉप्टर ही निजी ऑपरेटरों के पास बचते हैं। नेता यदि अपने निजी संबंधों के बल पर कारपोरेट घरानों से हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा लें, तो बात दूसरी है, लेकिन यदि निजी ऑपरेटरों के पास आएंगे, तो सीमित विकल्प ही हैं। हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कमाने का मौसम है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मांग और आपूर्ति में काफी असंतुलन की चुनावी मौसम में स्थिति रहती है। सामान्य मौसम के मुकाबले इस मौसम में हेलीकॉप्टर का भाड़ा कम से कम दो गुना बढ़ ही जाता है। मांग करने वालों को इस मौसम में यह कीमत भी कम नजर आती है। भाड़े के तौर पर मुंह मांगी कीमत देने को लोग तैयार रहते हैं। आमतौर पर हेलीकॉप्टर का भाड़ा घंटे के हिसाब से तय होता है। चुनाव के दौरान भाड़ा करीब पांच लाख रुपये तक पहुंच जाती है। ज्यादातर मांग डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर की होती है। ऐसे में, भाड़ा डेढ़ से दो गुना अधिक भी वसूल किया जाता है। हालांकि प्रति घंटे 1.5 से 2.5 लाख रुपये तक का किराया हेलीकॉप्टर का किराया सामान्य तौर पर होता है।