वाशिंगटन । रूस-यूक्रेन युद्ध से प्राकृतिक गैस आपूर्ति कम होने और अन्य वैकल्पिक स्रोतों से मिल रही गैस की कीमतों में भारी वृद्धि के बाद यूरोपीय संघ के नेतागण गैस की खरीद के लिए अधिकतम कीमत की सीमा तय करने की कोशिश कर रहे हैं। यूरोप को मौजूदा ऊर्जा संकट से निकलने के प्रयासों के तहत 27 देशों का संगठन प्राकृतिक गैस की खरीद के लिए मूल्य की अधिकतम सीमा तय करने का प्रयास कर रहा है।
ऊर्जा संकट के कारण ऐसी आशंका है कि सर्दियों में यूरोपीय देशों में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है,कारखानों को बंद करने की नौबत आ सकती है, जिससे पहले से लचर हो चुकी अर्थव्यवस्था फिर पटरी से उतर सकती है। गौरतलब है कि यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय संघ ने हथियारों, धन, सहायता और मॉस्को पर प्रतिबंध लगाकर यूक्रेन का साथ दिया है और इसके प्रतिक्रियास्वरूप रूस ने यूरोपीय संघ के 13 देशों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कमी कर दी है।
भविष्य में गैस की आपूर्ति में कमी के अनुमान के बाद इन देशों में गैस और बिजली की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है और सर्दियों के दौरान कीमतों के और बढ़ने की आशंका है। फिलहाल मूल्य की अधिकतम सीमा तय करने का प्रयास कर रहे यूरोपीय संघ के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी यह है कि प्रत्येक सदस्य देश अलग-अलग ऊर्जा स्रोतों और आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर हैं और वे साथ मिलकर आगे बढ़ने के मामले में एकमत नहीं हैं।
लातविया के पीएम क्रिस्जानिस करीन्स का कहना है, ‘‘गैस की खरीद के लिए अधिकतम मूल्य कीसीमा- अगर यह हो जाता है तब बहुत बड़ी बात होगी... लेकिन शर्त यह है कि हम आपूर्ति को बाधित नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसी कीमत नहीं तय कर सकते हैं कि कोई यूरोप को गैस ही नहीं बेचे।’’ वहीं, बेल्जियम के प्रधानमंत्री एलेक्सजेंडर डी’ क्रू ने कहा कि वह आशा करते हैं कि बैठक में कीमत निर्धारण में आ रही समस्याओं को दूर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नेताओं को दो संदेश देने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एक ऊर्जा बाजार को.. यह स्पष्ट करना चाहिए कि हम इन कीमतों को स्वीकार नहीं करते हैं और हम ये बढ़ी हुई बाजार कीमत नहीं देने वाले हैं। दूसरा, हमारी जनता, कंपनियों आदि को महत्वपूर्ण संदेश देना होगा कि हम समस्या को जड़ से समाप्त करने वाले हैं। हालांकि, कीमत की सीमा तय करने में बड़ा रोड़ा जर्मनी का फैसला भी है।