भोपाल ।  प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा रणनीति में जुट गए हैं। पार्टी नेता जमीनी हकीकत जानने और कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनने के लिए उनके बीच पहुंच रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ता संगठन  पदाधिकारियों के सामने खुलकर बोलने से नहीं चूक रहे हैं। साथ ही भोपाल से लेकर दिल्ली तक शिकायतें भी भेज रहे हैं। ऐसे में करीब डेढ़ दर्जन जिलों से कार्यकर्ताओं ने अपनी व्यथा अलग-अलग माध्यम से संगठन तक पहुंचाई है। जिसमें पुराने भाजपाईयों ने खुद की उपेक्षा और नए भाजपाईयों द्वारा समर्थको को आगे बढ़ाने जैसे आरोप भी हैं। सरकार के कुछ मंत्री एवं विधायकों पर भी परिजनों को तवज्जो देने के आरोप हैं।
मप्र भाजपा में यूं तो नेता एवं कार्यकर्ताओं द्वारा खुलकर विरोध दर्ज कराने की परंपरा नहीं है, लेकिन कुछ जिलों में उनकी लगातार हो रही उपेक्षा से वे खासे नाराज हैं। पार्टी नेता जिला  से लेकर प्रदेश स्तर पर अपनी बात रख चुका है। नए भाजपाईयों के खासे दखल एवं बढ़ते बर्चस्व की वजह से जिलों में पुराने भाजपाईयों ने फिलहाल पूरी तरह से चुप्पी साध ली है और ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। सागर जिला, ग्वालियर-चंबल संभाग के 6 जिले, इंदौर जिले में भी कई मंचों पर भाजपाईयों में आपस में ही विवाद की स्थिति निर्मित हो चुकी है। भाजपा में नए और पुरानों के बीच बढ़ती खाई पर कोई भी पदाधिकारी अधिकृत तौर पर बोलने को राजी नहीं है।

तीन महीने पहले क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाए गए अजय जामवाल भी प्रदेश का फीडबैक ले चुके हैं। भाजपा से जुड़े उच्च सूत्रों ने बताया कि पुराने भाजपाई खुद की उपेक्षा को लेकर जामवाल से भी मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि  प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव तक भी यह बात पहुंचा चुके है, लेकिन राव ने अभी इसे गंभीरता से नहीं लिया है। कुछ जिलों में पुरानी भाजपाई प्रदेश भाजपा मुख्यालय में प्रदेश महामंत्री एवं कार्यालय प्रभारी भगवानदास सबनानी से मिलकर भी अपनी बात रख चुके हैं। साथ ही मप्र भाजपा संगठन के अन्य पदाधिकारियों से मिलकर भी अपनी बात रखी जा चुकी है।

भाजपा संगठन के इंदौर, ग्वालियर, सागर, खंडवा, खरगोन, रायसेन, दमोह, छतरपुर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, देवास, धार, मंदसौर जिले से पुराने भाजपाईयों ने ख्ुाद की उपेक्षा की शिकायत संगठन तक पहुंचाई है। भाजपाई दूसरे दलों से आने वाले मंत्रियों एवं विधायकों पर उनके साथ आए समर्थकों को ज्यादा तवज्जों और परिजनों को सर्वे-सर्वा बनाने से भी नाराज हैं।