एम्स की इमरजेंसी में महज 6 फीसदी को ही बेड, रेफरल नीति की जरूरत...
एम्स | एम्स की इमरजेंसी में रोजाना इलाज करवाने आ रहे मरीजों में से महज छह फीसदी को ही बेड मिल पाता है, जबकि आसपास के अस्पताल में काफी बेड खाली रहते हैं। रोजाना औसत 866 मरीज आते हैं, लेकिन 50 (5.7 प्रतिशत) को ही बेड मिलता है। दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में उचित रेफरल नीति न होने से मरीजों को परेशान होना पड़ता है, जबकि कई मरीज बेड के अभाव में अस्पतालों में भटकते रहते हैं।
इस समस्या को दूर करने के लिए शुक्रवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, मुख्य सचिव, एनडीएमसी के चेयरमैन, स्वास्थ्य के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य निदेशालय के महानिदेशक सहित अन्य अस्पतालों के चिकित्सा निदेशक के साथ उच्चस्तरीय बैठक की।
इसमें उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि एम्स और दिल्ली के अस्पतालों के बीच रोगियों के रेफरल के लिए औपचारिक प्रणाली विकसित की जाए। इससे अस्पतालों में खाली बेड का इस्तेमाल मरीजों के उपचार के लिए किया जा सकेगा। इस नीति की मदद से एम्स स्थिर रोगियों को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में भेज सकेगा। इससे अन्य मरीजों को भी बेड के लिए अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
दो अस्पतालों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर द्वारका स्थित दिल्ली सरकार के इंदिरा गांधी अस्पताल और एनडीएमसी के चरक पालिका अस्पताल में अगले महीने रेफरल नीति की सुविधा तैयार होगी। एम्स के साथ इन अस्पतालों को जोड़ा जाएगा। एम्स इन अस्पतालों में विशेषज्ञता और महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधा देगा। वहीं, बेड की कमी होने पर एम्स इन अस्पतालों में मरीज को भेज सकेंगे। धीरे-धीरे एम्स को अन्य सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों से पार्टनर इंस्टीट्यूशंस के रूप में जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य दिल्ली में सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल विकसित करना है।
अस्पताल तैयार करें केंद्रीयकृत डैशबोर्ड : एलजी ने आदेश दिया है कि स्वास्थ्य विभाग एक सप्ताह के भीतर अपने सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की कमी का विश्लेषण करे। साथ ही, एक केंद्रीयकृत डैशबोर्ड विकसित करें, जहां पर दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हो सकें।
रोबोटिक सर्जरी की ट्रेनिंग मिलेगी
राजधानी समेत देश के अस्पतालों में होने वाली सर्जरी की गुणवत्ता में सुधार के लिए एम्स रोबोटिक सर्जरी की ट्रेनिंग देगा। इसे लेकर एम्स अपने संस्थान में छह माह में रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण सुविधा की स्थापना करेगा। इस सुविधा को विकसित करने के लिए यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अमलेश सेठ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि एम्स रोगी देखभाल, शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है।
रोबोटिक सर्जरी की मदद से गुणवत्ता में सुधार होगा। एम्स ने काफी समय पहले इस सुविधा को शुरू कर दिया था। अस्पताल के पास सालों पुराना रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम का उपयोग करने वाले फैकल्टी का टैलेंट पूल है। एम्स नई दिल्ली में पर्याप्त संख्या में मास्टर प्रशिक्षकों की उपलब्धता है। ऐसे में एम्स और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं के डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने की आश्यकता है।