16 साल बाद मिला इंसाफ, फर्जी एनकाउंटर मामले में पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया
एटा । यूपी के एटा में एक फर्जी एनकाउंटर में अदालत ने 9 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। दरअसल एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों ने एक शख्स की हत्या कर दी थी।जिसमें 16 साल बाद गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। अदालत ने मामले में 9 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
इस मामले में अदालत ने 5 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनके नाम हैं पवन सिंह श्रीपाल ठेनुआ सरनाम सिंह राजेंद्र प्रसाद और मोहकम सिंह। इन पर हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इनपर 33-33 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं 4 पुलिसकर्मियों को 5-5 साल की अदालत ने सजा सुनाई है। इसमें बलदेव प्रसाद अवधेश रावत अजय कुमार और सुमेर सिंह शामिल हैं। इन पर साक्ष्य मिटाने और कॉमन इंटेंशन का दोषी करार दिया है। सीबीआई कोर्ट ने इनपर 11-11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। एनकाउंटर में शामिल रहे एक सब इंस्पेक्टर की पहले ही मौत हो चुकी है।
साल 2006 में एटा जिले के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में एनकाउंटर हुआ था। जिसमें पुलिस ने पेशे से बढ़ई को बदमाश दिखाकर उसका एनकाउंटर कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले में जांच शुरू की थी। पुलिस ने बताया था कि पेशे से बढ़ई राजाराम एक डकैत था। मामले में राजाराम की पत्नी ने सवाल उठाकर आरोप लगाया था कि उनके पति राजाराम को पुलिस ने झूठे फर्जी एनकाउंटर में मार दिया है। मामले में मृतक की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जून 2007 में मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे तब से इस मामले में कोर्ट में सीबीआई ने तमाम एकत्रित सबूत पेश किए थे।