न सेहत का ध्यान, न निजता और गरिमा का


भोपाल । देश में महिलाओं की निजता, गरिमा, सम्मान, सुरक्षा, सशक्तीकरण और अधिकारों के मुद्दे पर केन्द्र से लेकर राज्यों की सरकारें तक बड़ी-बड़ी बातें और नारे तो खूब देती हैं, लेकिन यह वास्तव में महिला मुद्दों, उनकी बुनियादी जरूरतों को लेकर कितनी संजीदा हैं, इसकी हकीकत प्रदेश के थानों में देखी जा सकती है। थानों में महिला पुलिसकर्मियों को एक अदद टॉयलेट तक नसीब नहीं है। यानी न तो महिला पुलिसकर्मियों की सेहत का ध्यान रखा जा रहा है, न निजता का, न गरिमा का।
जानकारी के अनुसार मौजूदा महिला पुलिसकर्मियों को ही थानों में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रहीं। प्रदेश के 183 थानों में अलग से -टॉयलेट ही नहीं हैं। 31 थानों में जीर्ण-शीर्ण हैं। सबसे बुरी स्थिति जीआरपी थानों की है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में 28 जीआरपी थाने हैं। इनमें से 21 में महिला टॉयलेट नहीं हैं। बता दें, मप्र में 1150 थाने संचालित हैं। टायलेट की सुविधा न मिलने के कारण महिला पुलिसकर्मी कम पानी पीती हैं और शरीर में पानी की कमी के कारण कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।

अधिकांश थानों में कॉमन टायलेट्स
प्रदेश के लगभग हर थाने में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है, लेकिन उनके लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है। कई थानों में महिला पुलिसकर्मियों के सैल्यूट करते हुए पोस्टर्स दिख जाएंगे, जिन पर लिखा होगा कि हम उन्हें सलाम करते हैं, जो कानून का सम्मान करते हैं,Ó लेकिन पुलिस तंत्र खुद इन महिलाओं का कितना सम्मान करता है, ये महिला शौचालयों का न होना बताता है। अधिकांश थानों में कॉमन टायलेट्स हैं, जिनका पुलिस वालों से लेकर उसकी अभिरक्षा में रखे गए आरोपी तक सभी करते हैं। ये टायलेट्स महिला पुलिस कर्मियों, महिला फरियादियों या अभिरक्षा में रखी गई महिलाओं के लिए कितने सुरक्षित होते हैं, स्वत: ही अनुमान लगाया जा सकता है। प्रदेश में 31 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था तो हैं, पर जीर्ण-शीर्ण होने से ये उपयोग लायक नहीं हैं। गुना जिले में सबसे अधिक 5, भोपाल में ऐसे थानों की संख्या 4 है। आलीराजपुर, रतलाम, टीकमगढ़ जिले में 3-3 तो भिंड, उज्जैन, देवास, नरसिंहपुर में 2-2 थानों में टॉयलेट उपयोग लायक नहीं हैं। इंदौर, खंडवा, शाजापुर, शहडोल, इंदौर (जीआरपी) के 1-1 थानों में यही स्थिति है।

यह है थानों की स्थिति
इंदौर, उज्जैन, भोपाल में ऐसे थाने ज्यादा हैं, जहां महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं हैं। इंदौर के 48 में सबसे अधिक 26 थाने, उज्जैन के 32 थानों में से 10 में तो भोपाल के 44 में 9 थानों में अलग टॉयलेट नहीं हैं। वहीं ग्वालियर के 41 थानों में से 6 में, भोपाल (रेल) के 10 में 7 में , इंदौर (रेल)के 10 थानों में से 6 में, जबलपुर (रेल)के सभी 8 थानों में, विदिशा 24 थानों में से 8 में, रायसेन के 24  थानों में से 5 में अशोक नगर के 15थानों में से  4 में, नर्मदापुरम के 19 थानों में से 4 में, गुना के19थानों में से 3और सीहोर के 19 थानों में से 3 में शौचालय नहीं हैं।झाबुआ, देवास, आगर, जबलपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, निवाड़ी, मंडला और हरदा जिले के सभी थानों में टॉयलेट उपलब्ध हैं। भोपाल के अशोकागार्डन, कटारा हिल्स, कोतवाली, निशातपुरा, छोला मंदिर, बागसेवनिया, बिलखिरिया, नजीराबाद, हबीबगंज थाने में टॉयलेट नहीं हैं। कमलानगर, स्टेशन बजरिया, अयोध्यानगर व यातायात थाने का टॉयलेट जीर्ण-शीर्ण हैं। इंदौर के सदर बाजार, राऊ, राजेंद्र नगर, परदेशीपुरा, एमआइजी समेत 26 थानों में टॉयलेट नहीं हैं।

महिला कर्मी हो रहीं बीमार
अलग टायलेट्स की व्यवस्था न होने से महिला पुलिस कम पानी पीती हैं, ताकि बिना किसी व्यवधान के ज्यादा समय तक ड्यूटी करने की हालत में रह सकें, इससे वह कई तरह की बीमारियों की शिकार हो रही हैं। ऐसा नहीं है कि महिला पुलिसकर्मियों की इन दिक्कतों से आला अधिकारी अनजान हों, लेकिन इन व्यवस्थाओं को करने की दिशा में किसी का ध्यान नहीं जाता। न ही यह पता किया जाता है कि कितने थानों में सुविधा है, कितनों में यह सुविधा करानी है।