नई दिल्ली    सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में लाल किले पर हमले के मामले में दोषी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस मामले में मोहम्मद आरिफ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है।

22 दिसंबर 2000 को हुआ था लाल किले पर हमला

लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादी हमला किया था। इस हमले में दो जवानों सहित तीन लोग मारे गए थे। सेना की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी भी मारे गए थे। लाल किला हमले के मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत ने आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर पुनर्विचार के लिए आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याकूब मेमन व आरिफ की याचिका पर ऐतिहासिक फैसला

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में याकूब मेमन और आरिफ की याचिका पर ही ऐतिहासिक फैसला दिया था कि फांसी की सजा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए। गौरतलब है कि पहले पुनर्विचार याचिका की सुनवाई जज अपने चैम्बर में करते थे। अब यह देश में पहला ऐसा केस हैं, जिसमें फांसी की सजा पाए किसी दोषी की पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई की। गौरतलब है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी। लेकिन अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है।