भोपाल । नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और जल संसाधन विभाग ने संयुक्त रुप से मोरन गंजाल सिंचाई परियोजना तैयार की है। 2813 करोड़ रुपए की इस योजना से तीन जिलों में सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा। हालांकि प्रस्तावित बांध से प्रभावित होने वाले गांव के आदिवासी इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं हुई। उनकी ग्राम सभा भी इसकी अनुमति नहीं दे रही है। जिस जमीन के सहारे वे शुरू से परिवार पाल रहे हैं यदि वह चली गई तो उनका जीवन यापन कैसे होगा। दर्जनों प्रभावित परिवारों ने कलेक्टर को आवेदन दिया। इसमें मौके पर शुरू किए चूना डालने के काम व खूटियां लगाने पर रोक लगाने की मांग की। ऐसा नहीं होने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इस परियोजना से प्रभावित होने वाले गांव बोथी व डोग के आदिवासी मंगलवार को हरदा आए। कलेक्टर को आवेदन दिया। इसमें कहा कि मोरन गंजाल परियोजना प्रस्तावित है। इससे प्रभावित होने वाले सभी परिवार आदिवासी हैं। इस पर अमल होने से उनकी खेती व घर की जमीन और जीवन यापन के लिए बचे जंगल नष्ट हो जाएंगे। ऐसे में उनका जीवित रहना मुशिकल हो जाएगा। इस क्षेत्र से आदिवासी समाज का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। आदिवासियों ने कहा कि वे अपने जल, जंगल जमीन को इस तरह डूबने नहीं देंगे।
इस परियोजना के विरोध में जिंदगी बचाओ अभियान और अन्य आदिवासी संगठन भी प्रभावितों के समर्थन में हैं। बोथी डोग से आए सरदार देवड़ा, अमरदास, जनपद सदस्य सुंदरलाल आदि ने बताया कि इस मामले को लेकर गांव की ग्राम सभा भी इनकार कर चुकी है। सभी ने पूर्व में भी अफसरों को समय समय पर आवेदन दिए। लेकिन अधिकारी बदलते गए, इस बीच काम शुरु होने लगा। पूर्व में मंडी से कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर धरना दिया था। इन गांवों में बसे विशराम पिता मूंगिया, विशन पिता रामप्रसाद आदि की जमीन के पटटों की कॉपी ली गई है जिसका उन्हें कारण नहीं बताया गया। अब आदिवासी इस बात से डर रहे हैं कि अधिकारी कहीं इनकी जमीन न हड़प ले।
यह परियोजना हरदा, नर्मदापुरम व खंडवा जिले के लिए है। यह 3 चरण में पूरी होना प्रस्तावित है। इसकी प्रारंभिक लागत 2813 करोड़ रुपए थी। प्रारंभिक सर्वे में तीनों जिले के 211 गांवों की 52205 हैक्टेयर जमीन सिंचित होना बताया गया। पहले चरण में मोरंड बांध दूसरे में दोनों नहरें पाइप केनाल के रूप में बनाने और आखिरी में पूरे कमांड क्षेत्र में भूमिगत नहर प्रणाली से सिंचाई सुविधा प्रस्तावित की गई। इसे मप्र की 29 बड़ी परियोजनाओं में शामिल बताया गया। परियोजना में सिवनीमालवा के मोरघाट के पास मोरंड नदी तथा हरदा जिले के ग्राम जवरधा के पास गंजाल नदी पर बांध बनेगा। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता राम काजले ने बताया कि गांव में मौके पर अफसरों ने चूना डालकर ले आउट डालना शुरू कर दिया। नपाई कर खूटी लगाई जा रही है। आदिवासियों ने उनके पटटों की कॉपी ली जा रही हैएजिसका उन्हें कारण भी नहीं बताया जा रहा है। तुलसीराम, जोखीलाल, अमरदास कास्दे सहित कई लोगों ने आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं। इधर हरदा के कलेक्टर ऋषि गर्ग बताते हैं कि हो सकता है कि कुछ परिवार छूट गए हों यदि किसी की कोई समस्या है तो उनसे बात करके निराकरण करेंगे। इस प्रोजेक्ट की अपडेट जानकारी एनवीडीए वाले ही दे पाएंगे।