नई दिल्ली । म्यूचुअल फंड्स के पास निवेशकों की संपत्ति (एयूएम) 2030 तक दोगुनी (100 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच जाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह म्यूचुअल फंड्स में रिटेल और अमीर निवेशकों की भागीदारी 2029-30 तक 68 फीसदी हो जाएगी, जो 2016 में 45 फीसदी थी। इससे शेयर बाजार में तेजी आएगी क्योंकि म्यूचुअल फंड्स का 56 फीसदी पैसा इक्विटी में जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्त वर्ष 2023-24 में रिटेल और अमीर निवेशकों (एचएनआई) की भागीदारी 60 फीसदी हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2023 तक सिर्फ चार साल में म्यूचुअल फंड्स का एयूएम दोगुना होकर 50 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। एयूएम 12 लाख करोड़ से 25 लाख करोड़ तक पहुंचने में 5 साल लगे थे। अगले 6 साल में ये एक बार फिर दोगुना हो जाएगा। बाजार के जानकारों ने कहा कि देश में म्यूचुअल फंड की पहुंच सिर्फ 15 फीसदी है, जबकि वैश्विक औसत 74 फीसदी है। इसके आधे तक पहुंचना हो तो भी भारतीय म्यूचुअल फंड को 22 फीसदी ग्रोथ दिखानी होगी। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री मेंइक्विटी एयूएम बीते दिसंबर तक 56 फीसदी पहुंच गया, जो 2015-16 तक 30 फीसदी था। म्यूचुअल फंड्स के कुल एयूएम में इक्विटी के साथ ईटीएफ की हिस्सेदारी 70 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। इस साल जनवरी में इक्विटी एयूएम 47 फीसदी बढ़ गया। इसमें सिर्फ 13 फीसदी योगदान इक्विटी फंड में शुद्ध निवेश का रहा। शेष 34 फीसदी योगदान इक्विटी निवेश पर मार्क-टू-मार्केट गेन का रहा। म्यूचुअल फंड के संगठन एम्फी के मुताबिक, 2013-14 से 2023-24 के बीच म्यूचुअल फंड्स का एयूएम हर साल औसतन 20 फीसदी बढ़ा है। इसी दौरान इक्विटी एयूएम में सालाना 32 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।