मिल्खा सिंह की जीवनी द रेस ऑफ माई लाइफ को कई बार पढ़कर प्रेरणा बनाने वाली पटियाला की कंपाउंड तीरंदाज परणीत कौर पहली एशियाई चैंपियन बन गई हैं। उन्होंने फाइनल में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत के साथ तीन स्वर्ण जीतने वाली ज्योति सुरेखा वेनम को टाईब्रेकर में पराजित कर पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता। कंपाउंड तीरंदाजों के दबदबे के बीच भारत ने एशियाई चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते। रिकर्व में सिर्फ एक कांस्य पदक महिला टीम ने दिलाया।

परणीत मध्यांतर तक दो अंकों से पीछे चल रही थीं, लेकिन 18 वर्षीय इस तीरंदाज ने जबरदस्त वापसी करते हुए स्कोर 145-145 से बराबर कर मुकाबले को टाईब्रेकर में खीच दिया, जहां परणीत को 9-8 से जीत मिली। मिश्रित टीम स्पर्धा में अदिति स्वामी और प्रियांश की जोड़ी ने फाइनल में थाईलैंड को 156-151 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। यही नहीं ज्योति, परणीत और अदिति की टीम ने एशियाड की तरह यहां ताइवान को 234-233 से हराकर टीम का भी स्वर्ण पदक जीता।

बीते माह अपने पिता को खोने वाले अनुभवी अभिषेक वर्मा ने पुरुषों के व्यक्तिगत मुकाबले में कोरिया के जू जेईहून को 147-146 से हराकर कांस्य पदक जीता। ओलंपिक में शामिल रिकर्व के व्यक्तिगत मुकाबलों में पुरुष तीरंदाज क्वार्टर फाइनल और महिला तीरंदाज प्री क्वार्टर फाइनल से आगे जगह नहीं बना सके।

परणीत के पिता अवतार सिंह के अनुसार एशियाड में टीम का स्वर्ण जीतने के बाद परणीत को सिर्फ एक ही धुन सवार थी कि उन्हें किसी तरह व्यक्तिगत का स्वर्ण भी जीतना है। वह ज्योति को गुजरात राष्ट्रीय खेलों के क्वार्टर फाइनल में भी हरा चुकी हैं, इस लिए फाइनल में उन पर कोई दबाव नहीं था। वह बताते हैं कि साल की अंतिम चैंपियनशिप में अपना पहला व्यक्तिगत स्वर्ण जीतकर परणीत के सिर से बड़ा बोझ उतर गया है।