उज्जैन ।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। मोदी मंगलवार शाम 7 बजे ‘श्री महाकाल लोक’ पहुंचे। कार से उतर वे सीधे नंदी द्वार पहुंचे। उन्होंने यहां मौजूद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी सहित 150 संतों का अभिनंदन किया। 111 ब्राह्मण बटुकों ने स्वस्ति वाचन कर और केरल, ओडिसा, बनारस, असम, मणिपुर, हरदा, डिंडोरी के कलाकारों ने पंच वाद्य, शंख, डमरू, मंजीरे, काठी, मांदल बजाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। स्वागत उपरांत प्रधानमंत्री ने नंदी द्वार के नीचे स्थापित रक्षा सूत्र से बनीं शिवलिंग की 16 फीट ऊंची प्रतिकृति का अनावरण रिमोट का बटन दबाकर किया। इसी के साथ ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण हुआ। तत्पश्चात वे महाकाल पथ पर पैदल चले। उन्होंने 25 फीट ऊंची और 500 फीट लंबी दीवार पर उकेरे शैल चित्रों को निहारा। फिर कमल सरोवर होकर सप्त ऋषि मंडल पहुंचे। उन्होंने सप्त ऋषियों की विग्रह मूर्तियों, 25 फीट ऊंचे शिव स्तम्भ को देखा। यहां भोपाल के कलाकारों ने भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, बंगाल और झारखंड के कलाकारों ने पुरलिया छाऊ, केरल के कलाकारों ने तैय्यम, कथकली नृत्य कर, कर्नाटक के कलाकाराें ने यक्षगान कर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। रुद्रसागर के समानांतर पथ पर हरियाणा के कलाकारों ने डेरू जंगम, उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने शिव तांडव, शिव बारात की नृत्य नाट्य का मंचन किया। तेलंगाना के कलाकारों ने पेरिनी शिव तांडव, झारखंड के कलाकाराें ने खरसवा छाऊ, आंध्रप्रदेश के कलाकारों ने ओडूगुलू, गुजरात के कलाकारों ने मेवासी, कर्नाटक के कलाकारों ने ढोलकुनीथा, मध्यप्रदेश के कलाकारों ने गणगौर, मटकी, असम के कलाकारों ने सत्रिया, भोपाल के कलाकारों ने कथक, कुचिपुड़ी, ओडीसा के कलाकारों ने गोटीपुआ, मणिपुर के कलाकारों ने मणिपुर रास, गोआ के कलाकारों ने समई नृत्य की प्रस्तुति दी।मानसरोवर (फेसिलिटी सेंटर) भवन के सामने उज्जैन के खिलाड़ियों ने मलखंभ का प्रदर्शन किया। यहां मंगलवाद्य यंत्र बजाए गएं। प्रधानमंत्री ने सभी कलाकारों की प्रस्तुति को सराहा। उन्होंने इलेक्ट्रिक कार (ई कार्ट) में बैठ परिसर में स्थापित भगवान शिव सहित विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों और दीवाराें पर बनाए शैल चित्रों का अवलोकन किया। तीनों शंख द्धार पहुंचे और अपनी कार में बैठ कार्तिक मेला मैदान पर रखी सभा स्थल की ओर रवाना हुए।