नई दिल्ली । चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को लुभाने के लिए एआई-जनित डीपफेक वीडियो और वॉयस क्लोनिंग का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की आशंका जताई गई है। इस तरह के संभावित खतरों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन (आईएफएसओ) को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। देशभर में साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्यों के साथ समन्वय बनाकर कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार कुछ समय पहले ही दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट आईएफएसओ को नोडल एजेंसी बना चुकी है। ऐसे में इस चुनाव में इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने की इस यूनिट पर बड़ी जिम्मेदारी रहेगी। भारत निर्वाचन आयोग फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं की पहचान और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए पहले ही मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर चुकी है। साइबर अपराध इकाई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि डीपफेक वीडियो और वॉयस क्लोनिंग का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने की आशंका के मद्देनजर उसका पता लगाने व त्वरित कार्रवाई करने की बड़ी जिम्मेदारी रहेगी, क्योंकि ऐसी कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके बनाई गई मूल और नकली वीडियो सामग्री का पता लगा उसका अंतर समझ सके। पुलिस अधिकारी का कहना है कि जब तक इस पर ध्यान जाता है, तब तक नुकसान हो चुका होता है क्योंकि इंटरनेट मीडिया पर यह फैल जाता है। कई देशों में चुनावों के दौरान डीपफेक वीडियो और वायस क्लोनिंग के दुरुपयोग के मामले देखे गए हैं।