भोपाल । प्रदेश में रेत की खदानें शुरु हो चुकी है, इसके बावजूद रेत के दाम आसमान छू रहे हैं। रेत की खदानें शुरु हुए करीब 29 दिन हो चुके है लेकिन रेत के दाम कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। इससे लोगों का घर बनाने का सपना भी महंगा हो गया है। भोपाल में अब भी सात सौ घनफीट रेत का डंपर 42 हजार रुपये में आ रहा है जबकि एक ट्राली (सौ घनफीट) रेत छह हजार रुपये में बेची जा रही है। वर्षा काल में भी लगभग यही अधिक होने के कारण भवन निर्माण लागत बढ़ी हुई है और निर्माणकर्ता परेशान हैं। खनिज विभाग के अधिकारियों से भी शिकायत हो रही है पर राज्य सरकार दाम नियंत्रित करने के कोई प्रयास नहीं कर रही है। वर्षा काल (एक जुलाई से 30 सितंबर तक) रेत खदानें बंद रखी जाती हैं। इस अवधि में भंडारित (खदान से 10 किमी की परिधि में रखी गई) रेत बेची जाती हैं। भंडारण में परिवहन खर्च बढ़ने के कारण रेत भी महंगी बिकती है इसलिए जरूरी न होने पर वर्षाकाल में लोग निर्माण कार्य करने से बचते हैं। लोगों को उम्मीद थी कि वर्षा के बाद खदानें चालू होते ही रेत के भाव कम होंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों की माने रेत नीति-2019 में रेत के दाम नियंत्रित करने का प्रविधान है। इसमें खनिज निगम और विभाग के आला अधिकारियों को अधिकृत किया है। रेत के दाम अनियंत्रित होने पर वे वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से निर्णय ले सकते हैं। नर्मदापुरम (होशंगाबाद) की रेत खदान का मामला कानूनी पेच में फंसा है इसलिए वहां से वैधानिक रूप से रेत नहीं निकाली जा रही है। ठेकेदार और सप्लायर बैतूल की रायल्टी लेकर नर्मदा नदी से रेत चोरी करते हैं और भोपाल में लाकर बेचते हैं इसलिए मुंहमांगे दाम भी लेते हैं।