भारत जोड़ो यात्रा पर भारी शिवराज का गेमप्लान
शिवराज ने ऐसा बनाया गेमप्लान धरी रह गई भारत जोड़ो यात्रा की तैयारी
विजय शुक्ला
कोई चाहे जो समझे लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान राजनीति के एक बहुत मंझे हुए बड़े चतुर राजनीतिज्ञ हैं। आप उन्हें पक्का बादाम कह सकते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में कोई हलचल पैदा करे ऐसी किसी भी संभावना को भांपते हुए शिवराज ने एक महीने के भीतर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यक्रमों से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दो दिन स्थगित कर गुजरात जाने पर विवश कर दिया है।
राहुल की यात्रा की पंच लाइन है डरो मत लेकिन फिलहाल शिवराज के गेमप्लान से वे डर गए हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रस्तावित भारत जोड़ो यात्रा जो पहले 21 नवम्बर को मप्र में प्रवेश करने वाली थी उसे दो दिन आगे बढाने का निर्णय ऐनवक्त पर किया जाना कुछ अलग कहानी लगती है। हालांकि यात्रा की रूपरेखा बनाने वाले कांग्रेसी रणनीतिकार इसे गुजरात चुनाव से जोड़ रहे हैं । उनका कहना है कि राहुल गांधी की गुजरात चुनाव में पार्टी को जरूरत है इसलिए यात्रा से अल्प विराम लेकर वे दो दिन प्रचार प्रसार करने गुजरात जाएंगे। इसलिए उनकी भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में 21 की बजाय 23 नवम्बर को प्रवेश करेगी। इस नजरिए से देखा जाए तो मप्र में भारत जोड़ो यात्रा में तिथि परिवर्तन तर्क सटीक समझ मे आता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए राहुल गांधी ने थोड़ा समय निकाला होता तो गुजरात को लेकर दिए जा रहे तर्क में और दम आ जाता। बहरहाल, मुमकिन है हिमाचल के नतीजों का अंदेशा कांग्रेस हाईकमान को हो चुका यानी तमसो कांग्रेस प्रचोदयात ...हिमाचल कांग्रेस के हाथ से फिसला ही समझें। रही गुजरात की तो कदाचित कांग्रेस वहां हिमाचल की तरह भाजपा को वॉक ओवर देकर दुनिया में अपनी नाक नतीजे से पहले नहीं कटवाना चाहती। वह देश की जनता में यह संदेश नहीं जाने देना चाहेगी कि गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने मोदी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यानी तय किया गया कि चाहे जो भी नतीजे आएं लेकिन राहुल गांधी को चुनावी रण भूमि पर जीतने का न सही लड़ाकों की तरह लड़ने दिखावा तो करना होगा वरना भारत जोड़ो यात्रा ही हाथ लगेगी।
बहरहाल, यह तो एक पहलू है इसका दूसरा पहलू थोड़ा अलग है। राजनीतिक जानकारों की माने तो भारत जोड़ों यात्रा में कोई चुनाव प्रचार वाला कार्यक्रम पहले दिन से ही नहीं था। किंतु मध्यप्रदेश में भाजपा ने जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य में तीन बड़े आयोजन किए उसने राहुल को गुजरात जाने पर विवश कर दिया। ना चाहकर भी राहुल को अपनी यात्रा दो दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। राहुल की इस यात्रा की देशभर के लोगों में चर्चा हो रही है। होनी भी चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ साल से केंद्र सरकार में होने से कांग्रेस अपने अवसान की तरफ मरणासन्न मुद्रा में दिखाई दे रही है बावजूद राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में लोगों की अप्रत्याशित भीड़ नजर आना अचंभित करता है। वह इस यात्रा के जरिये लोकतंत्र और संविधान बचाने की दुहाई जरूर दे रहे हैं लेकिन असल में यह सब कांग्रेस को बचाने की पुरजोर कोशिश है। जिससे आम आदमी पार्टी जैसे दल मोदी लहर से किसी तरह बची खुची कांग्रेस की फसल को चट न करने पाएं। इस यात्रा से राहुल का राजनीतिक भविष्य तय होगा साथ ही अस्तित्व बचाने की चिंता निहित है। मध्यप्रदेश में राहुल के पैर पड़ें इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपनी राजनीतिक पंडिताई से कांग्रेस को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस को अब नई रणनीति तैयार करनी होगी। शिवराज ने एक माह के भीतर राज्य में तीन बड़े कार्यक्रमों के जरिये भाजपा की जबरदस्त मोर्चेबंदी कर दी है।
ताकि राहुल की यात्रा का कोई असर मध्यप्रदेश की जनता पर न हो। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले बड़ी चतुराई से भारत जोड़ो यात्रा के संभावित प्रभावों का सूक्ष्म विश्लेषण किया और उसके बाद नई स्क्रिप्ट लिख डाली। इस कड़ी में सबसे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ग्वालियर चम्बल के सीमावर्ती क्षेत्र कुनो अभ्यारण्य में नामीबिया से लाए चीते छुड़वाने का ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया। जिससे ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में भाजपा को नई ऊर्जा मिली। मोदी की मौजूदगी भाजपा को अजेय बना देती है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने तत्काल उज्जैन स्थित महाकाल लोक के भव्य नए कॉरिडोर के लोकार्पण समारोह का कार्यक्रम मोदी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया। इसका लाभ मालवा क्षेत्र में भाजपा संगठन को शक्तिशाली बनाने के साथ आम जन में सरकार की धार्मिक -आध्यात्मिक छवि के रूप में और गहरी होनी स्वाभाविक है। इन दो बड़े अवसरों पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति से हर वर्ग भाजपा सरकार की चर्चा कर रहा है खासकर पिछड़ा वर्ग को साधने में भाजपा को भरपूर मदद मिलेगी। क्योंकि मोदी और शिवराज इसी वर्ग से आते हैं। यह अलग बात है कि ये दोनों नेता हर वर्ग में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। देशभर के जनजातीय समुदाय को रिझाने के प्रयास भाजपा ने तेज कर रखे हैं। किन्तु सबसे बड़ी पहल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने गत वर्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाकर की जिसमें भी प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि बनकर आए। तब हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर आदिवासी गोंड़ रानी कमलापति के नाम किया गया था। प्रधानमंत्री के दो बड़े कार्यक्रमों के बाद शिवराज ने राज्यपाल मंगुभाई पटेल को साथ लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में दो दिवसीय मप्र प्रवास की योजना बनाई। जिसमें वे पूरी तरह सफल हुए। जनजातीय गौरव दिवस के रूप में बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विन्ध्य के शहडोल जिले में विशाल जनजातीय सम्मेलन कार्यक्रम मप्र सरकार ने किया जिसमें पहुंची राष्ट्रपति ने लाखों सजातीय बहन भाइयों को संबोधित करते हुए उनके भीतर भाजपा सरकार के प्रति स्थायी आस्था स्थापित करने की अप्रत्यक्ष रूप से कोशिश की। यह बात भी सही कि स्वतंत्रता संग्राम मे शामिल जनजातीय नायकों को सम्मान देने का कार्य भाजपा सरकार ने किया है। जनजातीय समाज के कल्याण के लिए शिवराज सरकार अनेकों योजनाएं संचालित कर रही है। पेसा एक्ट इस समाज पर ऐतिहासिक उपकार है। यानी मुख्यमंत्री ने बहुत कम समय में मध्यप्रदेश के तीन क्षेत्रों ग्वालियर चम्बल, मालवा निमाड़ और विंध्य में भाजपा को चुनावी बढ़त में दिलाने का भरसक बंदोबस्त कर दिया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इस नए भाजपाई वातावरण को कितना बदल पाएगी यह वक्त आने पर ही पता चलेगा। राहुल गांधी यात्रा को लेकर कांग्रेस उत्साहित है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजयसिंह,सुरेश पचौरी,अजय सिंह, अरुण यादव, दिन रात इसकी तैयारियां कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल तो बाजी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी ने मार ली है। शिवराज ने एक बार पुनः यह सिद्ध कर दिया है कि वे पक्का बादाम हैं। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के गुब्बारे की हवा निकालकर रख दी है। राहुल की इस यात्रा को भाजपा विफल करने की हरसंभव कोशिश करेगी। शिवराज ने तो अपना काम कर दिया अब बारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की है कि वे राहुल की यात्रा को कितनी सफलता दिला पाते हैं।