नई दिल्ली । देश में दवाओं की कमी हो सकती है और कीमत आसमान पर पहुंच सकती है। कई मझोली और छोटी दवा कंपनियों का कहना है कि वे सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों का पालन करने की स्थिति में नहीं हैं और इनमें से कई इकाइयां बंद हो सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में शेड्यूल एम में बदलाव को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था। सभी दवा कंपनियों के लिए इसे लागू करना अनिवार्य बनाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि शेड्यूल एम को सभी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम कंपनियों के लिए चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 250 करोड़ रुपये से अधिक सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को एक अगस्त, 2023 से छह महीने के भीतर मानकों को लागू करना जरूरी है। छोटी कंपनियों को इसके लिए एक साल का समय दिया गया है लेकिन लघु उद्योग भारती के एक प्रतिनिधि का कहना है कि छोटी और मझोली कंपनियों के लिए रिवाइज्ड शेड्यूल एम को लागू करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी कंपनियां क्वालिटी में सुधार के लिए तैयार हैं लेकिन इसमें बहुत खर्च आएगा। इस प्रोसेस में कई कंपनियां बंद हो जाएंगी। इससे देश में दवाओं की कमी हो जाएगी और उनकी कीमत बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा ‎कि छोटी कंपनियों के लिए नए नियमों को लागू करने चुनौतीपूर्ण काम है। पंजाब ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन का कहना है कि इससे एनएलईएम में शामिल जरूरी दवाओं को बनाना मुश्किल हो जाएगा। नए नियमों के कारण इन दवाओं को बनाने की लागत उनकी सीलिंग प्राइस से ऊपर चली जाएगी।