ऋषिकेश में स्थित कुंजापुरी देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है .मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे जिस कारण इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा.यह प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक है. ऋषिकेश से बस या टैक्सी में 16 किमी की दूरी तय कर नरेंद्रनगर पहुंचा जा सकता है. यहां से मंदिर परिसर तक छोटे वाहन से जा सकता हैं. यहां सांय तक हर समय वाहन की सुविधा है. यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पड़ता है, जबकि हवाई सेवा जौलीग्रांट तक है.

ऋषिकेश से 5 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों के बीचों बीच स्थित प्राचीन मन इच्छा देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध व पूजनीय मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में विशेष रुप से पिंडी की पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता है की यहां मां दुर्गा ने पिंडी के रुप में दर्शन दिए थे जोकि स्कंद पुराण में वर्णित है. इस मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई भी भी दुकान या बाजार नहीं है. 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रानीपोखरी के वासियों की ये कुल देवी हैं.


नीलकंठ महादेव ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव का एक भव्य मंदिर है. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था. उन्होंने अपनी शक्ति के प्रभाव से उस विष को अपने कंठ तक ही सीमित रखा और गले से नीचे नहीं जाने दिया. इसीलिए उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है. इस मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है.

ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास आदि बद्रीनाथ द्वारकाधीश मंदिर स्थित है. यह काफी प्राचीन मंदिर है. इसक मंदिर की मान्यता बद्रीनाथ धाम के समान है. दशकों पहले जब मोटर मार्ग की सुविधा नहीं थी, तब तीर्थ यात्री इस मंदिर में विश्राम किया करते थे. इसके साथ ही जो भी यात्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन नहीं कर पाते थे, वो यहां हाथ जोड़ लिया करता थे. मान्यता है कि यहां के दर्शन करने से उन्हें बद्रीनाथ धाम के समान फल की प्राप्ति होती है.


ऋषिकेश में स्थित श्री भरत मंदिर यहां का बहुत पुराना और पवित्र मंदिर माना जाता है. यह मंदिर भगवान हृषिकेश नारायण को समर्पित है. माना जाता है कि इस शहर का अस्तित्व इस मंदिर से जुड़ा हुआ है. 9वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में भगवान विष्णुजी की ऐसी मूर्ति है "जो केवल एक शालिग्राम पत्थर (काले रंग का एक पत्थर) को काट कर बनाई है.आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीयंत्र भी इस मंदिर में है.


वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश के आमबाग आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर का भी अपना एक रोचक इतिहास है. मान्यता है की इस मंदिर में भगवान शिव ने वीरभद्र का क्रोध शांत करवाया था और उसे गले लगाया था तभी से वीरभद्र शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है, और तभी से यह मंदिर वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है. दूर दराज से लोग यहां इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं.