नई दिल्ली । इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग के बीच आज दिल्ली में फिलिस्तीनी दूतावास पर एक महिला का अजब ड्रामा देखने को मिला। ये महिला खुद को गाजा भेजे जाने की बात कर रही थी। महिला ने कहा कि उसके मजहब में जान की कोई कीमत नहीं होती है। यही नहीं, उसने कहा कि उसे जान जाने का कोई डर नहीं है। महिला ने कहा कि मैं अप्वाइंटमेंट लेने आई थी कि मुझे फिलिस्तीन जाना है। उसने कहा कि वह वीजा के लिए अप्लाई करने के लिए आई थी लेकिन कुछ वजहों से वो नहीं हो पा रहा है, मैं चाहती हूं कि आपलोग भी सरकार को भी बोलें कि जो फिलिस्तीन की सरहदें हैं वो हम हिंदुस्तानी मुसलमानों के लिए खोल दी जाए। फिलिस्तीन दूतावास के बाहर खड़ी महिला से जब यह पूछा गया कि वह क्यों जाना चाहती हैं? तब महिला ने गुस्से में कहा, क्यों जाना चाह रही हूं? आपलोग देख नहीं पा रहे कि फिलिस्तीन में हो क्या रहा है? आपको खुद दिख रहा होगा न कि चीजों कितनी बेकार चल रही हैं, फिलिस्तीन के हालात देख रहे हो कि बच्चे किस तरीके से. यह पूछने पर कि वहां जान का खतरा है वहां इसपर महिला ने हंसते हुए कहा.. जान की .. देखो भाई हम जिस मजहब से आते हैं, उसमें जान की कोई कीमत नहीं है। जान की कीमत से वो डरे जो एक ही बार में खत्म हो सकते हैं। हम नहीं डरते। मौत जो है वो तो बिस्तर पर भी आती है, लेकिन ऐसी जंग जो लड़ते हैं न उसे तारीख और इस्लाम याद रखता है। तो मैं आई हूं और सरकार से अपील कर रही हूं कि मैं पासपोर्ट और डॉक्यूमेंट साथ लेकर आई हूं, मैं चाहती हूं सरकार सरहदें खोल दें। मैं सरकार से मैं एक ही चीज कहूंगी कि मोदी जी दोनों देशों की सरहदें खोल दें और दोनों देशों के लिए वीजा जारी करना शुरू कर दें।