आगामी 16 मई को सीता नवमी मनाई जाएगी. इस दिन महिलाओं को पति की दीर्घायु के लिए व्रत करना चाहिए. इस दिन माता सीता और भगवान राम की पूजा करने से बहुत बड़ा फल मिलता है. मान्यता है कि इस दिन रामायण का अखंड पाठ करने से भी महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में भी मधुरता आती है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के निवासी पंडित योगेश कुकरेती ने लोकल को 18 को जानकारी देते हुए कहा कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता भूमि से प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन उनका प्राकट्य दिवस मनाया जाता है. इसे जानकी जयंती भी कहा जाता है.
भारतवर्ष में कई स्थानों पर हर्षाेल्लास के साथ सीता नवमी मनाई जाती है. जबकि कुछ क्षेत्रों में तो माता सीता का धूमधाम से पूजन होता है. इस दिन मां भगवती और सीता के निमित्त सोलह श्रृंगारों का दान किया जाता है.

उन्होंने कहा कि जानकी जयंती के दिन महिलाएं व्रत करती हैं, जो कि बहुत ही विशेष माना जाता है. यह व्रत महिलाओं के लिए खास माना जाता है. इस व्रत से उनके पति की लंबी उम्र होती है. वहीं पति-पत्नी के जीवन में संकट और निराशा को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है. इस व्रत को करने से पूरे परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है. सीता नवमी के दिन कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है. क्योंकि ऐसा करने से भी जीवन के दुख दूर होते हैं और सीताराम का आशीर्वाद मिलता है.

माता सीता के भूमि से प्रकट होने  की कथा

पंडित योगेश कुकरेती ने बताया कि हिंदू पुराणों के अनुसार, मिथिला के राजा जनक की कोई संतान नहीं थी. जिसके बाद उन्हें कहा गया कि वह यज्ञ भूमि तैयार करने के लिए हल जोतें. उन्होंने राजा होने के बावजूद भी संतान प्राप्ति की कामना को लेकर भूमि पर हल चलाया और जहां सीता माता प्रकट र्हुइं. जिन्हें जानकी भी कहा जाता है.