जहरीली होती यमुना: BOD स्तर खतरे के निशान से 42 गुना ऊपर,सरकार कब जागेगी?

राजधानी दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी की गुणवत्ता को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दल चिंता जताते रहे हैं, लेकिन इसका लेवल लगातार गिरता ही जा रहा है. अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट कहती है कि पिछले 2 सालों में यमुना की जल गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है, जनवरी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का लेवल स्वीकार्य स्टैंडर्ड से 42 गुना अधिक हो गया है.
बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड नदी के हेल्थ और जलीय जीवन को सहारा देने की क्षमता का एक अहम इंडिकेटर होता है. इसे आदर्श रूप से 3 mg/l से कम रहना चाहिए. हालांकि, DPCC का आंकड़ा यमुना की चिंताजनक तस्वीर पेश करता है.
नजफगढ़ नाले की हालत बेहद खराब
राजधानी के सबसे प्रदूषित हिस्सों में से एक, नजफगढ़ नाले के आउटफॉल में, BOD का स्तर जनवरी 2023 में 53 mg/l था और यह जनवरी 2025 में बढ़कर 127 mg/l तक हो गया. इस तरह से यह पिछले 2 सालों में सबसे अधिक दर्ज किया गया है.
2023 के मध्य में नदी की गुणवत्ता में मामूली सुधार दिखा था, लेकिन इसके बाद 2024 की शुरुआत से लेकर साल के अंत तक गुणवत्ता लगातार खराब होती चली गई. यमुना नदी से जुड़ी रिपोर्ट (Progress in Rejuvenation of the River Yamuna) में प्रमुख निगरानी बिंदुओं पर नदी के प्रदूषण के स्तर में इजाफा होने का पता चलता है, खासकर दिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच.
ISBT कश्मीरी गेट का स्तर भी खराब
इसी तरह, ISBT कश्मीरी गेट पर, BOD का स्तर पिछले 2 सालों में 40 mg/l के आसपास रहा, जो नवंबर 2023 में 52 mg/l और दिसंबर 2024 में 51 mg/l तक बढ़ गया. इसी तरह कालिंदी कुंज के पास शाहदरा नाले के नीचे, जहां नदी दिल्ली से निकलती है, वहां पर स्थिति और भी खराब है. जनवरी 2023 में BOD रीडिंग 56 mg/l से बढ़कर जनवरी 2025 में खतरनाक 127 mg/l हो गई, जो पिछले 3 सालों में उस लोकेशन पर उच्चतम स्तर को दर्शाता है.
डीपीसीसी की रिपोर्ट, जो नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार यमुना नदी के पुनरुद्धार और मासिक जल गुणवत्ता पर डेवलपमेंट को ट्रैक करती है, लेकिन राजधानी में जारी कई कार्य योजनाओं के बावजूद नदी में प्रदूषण के स्तर को रोकने में शहर की निरंतर विफलता को उजागर करती है.
खराब गुणवत्ता के लिए 2 फैक्टर जिम्मेदार
विशेषज्ञ पानी की खराब होती गुणवत्ता के लिए 2 प्रमुख कारकों को जिम्मेदार मानते हैं, कम बारिश के कारण नदी के पर्यावरणीय प्रवाह में आई गिरावट और सीवेज तथा अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (effluent treatment plants) की क्षमता में ठहराव आना मानते हैं. उनका कहना है कि “पिछले साल मानसून के बाद से दिल्ली और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बहुत कम बारिश हुई थी, जिसका मतलब है कि यमुना में प्रदूषकों का कम पतला होना.
यमुना नदी से जुड़े कार्यकर्ता और साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (एसएएनडीआरपी) के सदस्य भीम सिंह रावत ने कहा, “इस बीच, दिल्ली के सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई बड़ा अपग्रेड नहीं किया गया है.”
वर्तमान में, दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता 764 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) है, जबकि शहर में प्रतिदिन करीब 792 एमजीडी सीवेज उत्पन्न होता है. हालांकि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का कहना है कि वह इस समस्या से निपटने के लिए 12 नए एसटीपी तैयार कर रहा है.