नई दिल्ली । ऐसे दौर में जब राजनीति की धारा का एक खास दिशा में तेज प्रवाह बड़े-बड़े सियासी धुरंधरों को जमींदोंज कर रहा हो तब इसका मुकाबला करते हुए धारा पलटने वाली चुनावी जीत हासिल करना किसी करिश्मे से कम नहीं। राजनीति में उभरते इस नए करिश्मे का नाम है अनुमुला रेवंत रेडडी जो देश के सबसे नवोदित राज्य तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री हैं, जिनकी अगुवाई में कांग्रेस ने बीते नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। मुश्किल दौर में भी उत्साह और महत्वाकांक्षाओं के रथ पर सवार रेवंत रेडडी की बड़े लक्ष्य हासिल करने की यह दृढ़ इच्छाशक्ति ही है कि साधारण किसान परिवार की पृष्ठभूमि में पले-बढ़े और छात्र राजनीति से शुरूआत कर आज सूबे की सत्ता का शिखर छू लिया है। इस शिखर को एक पड़ाव मानते हुए रेवंत अगली कड़ी में अपनी शख्सियत की एक लकीर राष्ट्रीय राजनीति के कैनवास पर उकेरने को तत्पर नजर आ रहे हैं और 2024 उनके लिए एक बड़ा मौका है। लोकसभा में कांग्रेस के मिशन दक्षिण के लक्ष्य में केरल के बाद सबसे बड़ी उम्मीद तेलंगाना ही है। रेवंत कभी भाजपा में नहीं रहे मगर उनकी सियासत का आगाज छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई। मुख्यधारा की राजनीति में उनकी फायर ब्रांड छवि पहली बार 2006 में महबूबनगर के जिला परिषद टेरिटोरियल काउंसिल में और विधान परिषद चुनाव में निर्दलीय ही कांग्रेस उम्मीदवार को हराने के बाद सामने आई। कांग्रेस के तत्कालीन सीएम वाईएसआर राजशेखर रेडड्डी को चौंकाया तो उन्हें कांग्रेस में आने का न्यौता दिया मगर रेवंत ने चंद्रबाबू नायडू का दामन थामा। तेलंगाना गठन के बाद 2014 में वे प्रदेश टीडीपी के अध्यक्ष बने। मगर 2017 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में केसीआर की लहर में हार गए मगर चार महीने बाद 2019 में मल्कागिरी से जीत वे लोकसभा में पहुंच गए, जहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से सीधे रूबरू होने का मौका मिला। राहुल ने उनकी क्षमताओं का आकलन कर तमाम दिग्गजों के विरोध को दरकिनार करते हुए 2021 की शुरूआत में रेवंत को तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपते हुए चुनावी चेहरा बना दिया। 2023 के आखिर में तेलंगाना में करिश्माई जीत का तोहफा देकर उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के भरोसे को और मजबूत किया और इसीलिए 2024 में रेवंत कांग्रेस के लिए उम्मीदों का एक चेहरा हैं।