नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट अपने एक खास फैसले के लिए चर्चा में है। कोर्ट ने एक युवक को महिला की गरिमा ठेस पहुंचाने के मामले में हुई एफआईआर को खारिज करने के लिए युवक के सामने ट्रैफिक पुलिस के साथ सेवाएं देने की शर्त रख दी है। कानून तोड़ने या जुर्म करने पर कोर्ट में फैसला सुनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी कुछ फैसले चर्चा का विषय बन जाते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में देखने को मिला, जहां एक महिला के साथ करने के अभद्रता करने के मामले में मुकदमा खारिज करने के बदले में कोर्ट ने आरोपी को 30 दिनों तक ट्रैफिक सिग्नल पर पुलिस की मदद करने की सजा दी है।दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में 16 अप्रैल को एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR को इस शर्त पर खारिज कर दिया कि वह 30 दिनों तक ट्रैफिक सिग्नल पर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से दी गई यह सजा चर्चा का विषय बन गई है। युवक को न तो जेल भेजा गया और न ही उस पर जुर्माना लगाया गया बल्कि ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने की सजा दी गई। जस्टिस नवीन चावला ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत विकास बोहत के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए, यह आदेश पारित किया कि कोर्ट की ओर से सौंपे गए ट्रैफिक सिग्नल पर ट्रैफिक पुलिस की सहायता करने के लिए डीसीपी ट्रैफिक को रिपोर्ट करना होगा। 30 दिन पूरे होने के बाद डीसीपी ट्रैफिक याचिकाकर्ता को एक सर्टिफिकेट जारी करके देगा, जिसे याचिकाकर्ता 2 महीने के भीतर कोर्ट में दाखिल करेगा।