भोपाल : राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के कार्य को सेवा-भावना के साथ करें। ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण करने पर छात्र-छात्राओं को ग्रामीण समाज, जनजातीय जीवन और ग्रामीण परिवेश का अनुभव होगा। यह अनुभव विकास के कार्यों को करने में उनका सहायक बनेगा। राज्यपाल पटेल गुरूवार को राजभवन परिसर में स्थित सांदीपनि सभागार में विश्वविद्यालयों द्वारा गोद लिये गये ग्रामों में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन पर कार्यशाला के उद्धघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के कार्य को सबसे पहले झाबुआ और अलीराजपुर से शुरू किया गया। वर्तमान में प्रदेश के 18 जनजातीय जिलों में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन का कार्य किया जा रहा है। सिकल सेल एनीमिया के संबंध में जागरूकता बढ़ायी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के केन्द्रीय बजट में पूरे देश में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लिये मिशन चलाये जाने की घोषणा हुई है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्येय वाक्य "सबका साथ-सबका विकास" है। राज्यपाल ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया वंशानुगत बीमारी है। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ितों को उन्होंने बहुत नजदीक से देखा है। सिकल सेल एनीमिया के वाहक दम्पत्ति को यह बात समझाने की आवश्यकता है कि उनके बच्चे इससे पीड़ित होंगे। उन्होंने कहा कि विवाह पूर्व खून की जाँच कर यह देखना बहुत जरूरी है कि सिकल सेल एनीमिया से तो कोई पीड़ित नहीं है। जनजातीय समाज में इस रोग के संबंध में जानकारी बढ़ाने की आवश्यकता है। नुक्कड़ नाटक, लघु फिल्म आदि से जानकारी को प्रभावी तरीके से दिया जा सकता है।

राज्यपाल पटेल ने महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं से कहा कि गोद लिये ग्रामों में उनके द्वारा केम्पों में दिया गया सक्रिय योगदान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएँ ग्राम में भ्रमण कर ग्रामीण जीवन को नजदीक से देखे और समझें। इससे उन्हें ग्राम के विकास के लिये कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी और वे विकास कार्य में अपना प्रभावी योगदान दे सकेंगे। राज्यपाल ने कहा कि सीखने के लिये प्रेरणा की आवश्यकता होती है। उन्होंने अब्राहिम लिंकन के जीवन से उदाहरण देते हुए कहा कि जो कार्य हमें नहीं आता उसे सीखा जा सकता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि गाँव से मिला अनुभव उनके जीवन में उपयोगी रहेगा।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रदेश के शासकीय विश्व विद्यालयों द्वारा सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के पहले चरण में 5-5 गाँव गोद लिये गये हैं। आगे और गाँव भी गोद लिये जाये। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों द्वारा भी 5-5 गाँव गोद लिये जाने की कार्यवाही करने के लिए कहा। राजभवन में जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दीपक खाण्डेकर ने सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन में विश्वविद्यालयों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में छात्र-छत्राओं द्वारा सिकल सेल एनमिया उन्मूलन में गाँव भ्रमण के साझा किये गये अनुभव स्पष्ट करते हैं कि छात्र-छात्राओं का सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान है।

राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये गाँव में छात्र-छात्राओं के द्वारा किये जाने वाले कार्यों की जानकारी दी। एम.डी. एनएचएम प्रियंका दास ने विश्वविद्यालय द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय से किये जा रहे कार्य को अधिक प्रभावी ढंग से करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय गोद लिये गये गाँवों के भ्रमण कार्यक्रम को स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा करें। स्वास्थ्य विभाग और विश्वविद्यालय के दल साथ में केम्प करेंगे। सचिव जनजातीय प्रकोष्ठ बी.एस. जामोद ने कार्यशाला संबंधी प्रेजेन्टेशन में बताया कि 20 शासकीय विश्व विद्यालयों में से प्रत्येक ने 5-5 गाँव गोद लिये हैं।