विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां की परंपरा बाकी जगहों से अलग है. महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है. दक्षिणमूखी होने के कारण इसकी मान्यता और बढ़ जाती है. यहां महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि मनाई जाती है, इसलिए भी इसका खास महत्व है.

आयोजन के दौरान 9 दिन तक बाबा अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूप में दर्शन देते हैं. प्रथम दिन बाबा की जलाधारी पर हल्दी लगाई जाती है. इस बार 29 फरवरी को यह आयोजन होगा. मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि इस विशेष पर्व पर महाकाल को दूल्हा बनाने की परंपरा है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, दूल्हे को हल्दी का उबटन लगाया जाता है. इस हल्दी को प्रसाद स्वरूप लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

विवाह की बाधा होती है दूर
शिव नवरात्रि के प्रथम दिन हल्दी का उबटन बाबा महाकाल की जलधारी, जिसे मां पार्वती का अंग माना जाता है उस पर धारण कराई जाती है. इस हल्दी का प्रसाद लेने भक्त भारी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं. महेश पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह कार्य में बाधा आ रही हो, वे महाकाल से यह हल्दी ले जाते हैं. घर जाकर इस हल्दी को पानी मे मिलाकर स्नान करते हैं. उनके विवाह कार्य जल्दी ही संपन्न हो जाते हैं. पुजारी ने बताया कि भगवान की हर वस्तु का अपना एक अलग ही महत्व है.