भरतपुर. मंदिर और वो भी बजरंग बली के तो आपने कई देखे होंगे. भरत में बजरंग बली का एक अनूठा और बिरला मंदिर है. यहां हनुमान के साथ उनके पुत्र भी विराजे हैं. ये पुत्र कौन हैं और कैसे पैदा हुए इसकी रोचक कहानी है.

भरतपुर में एक से बढ़कर एक सुंदर और भव्य मंदिर हैं, जिनकी अलग-अलग विशेषताएं हैं. लेकिन एक मंदिर ऐसा है जो दुर्लभ है. भरतपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर वेर क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है. यह मंदिर रामायण के सबसे शक्तिशाली योद्धा बजरंगबली हनुमान के पुत्र और परमवीर योद्धा मकरध्वज के नाम से जाना जाता है.

इस प्रकार जन्मे थे हनुमान पुत्र
महावीर श्री हनुमान को प्रभु राम ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाने और उन्हें अपना संदेश देने भेजा था. लंका में हनुमान का मेघनाद से युद्ध हुआ और मेघनाद ने उन्हें कपटपूर्वक ब्रह्मास्त्र की सहायता से बंदी बना लिया. उसके बाद रावण ने हनुमान की पूछ में आग लगाने का दंड दिया. महावीर हनुमान ने अपनी जलती पूंछ से पूरी लंका जला दी. जब उन्हें पूंछ जलने के कारण तीव्र वेदना हो रही थी तो उन्होंने समुद्र के जल से पूंछ की अग्नि शांत की. उस समय उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में टपक गई जिसे एक मछली ने पी लिया और वह गर्भवती हो गई. उससे उस मछली को एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम था मकरध्वज.

पिता पुत्र का दुर्लभ मंदिर
देश के गिने-चुने मन्दिरों में से एक यह अनूठा मन्दिर भरतपुर जिला मुख्यालय से लगभग 15 कोस 45 किलोमीटर की दूरी पर है. भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल के भाई प्रताप सिंह ने वैरिगढ़ नाम के इस कस्बे को बसाया था. इसका अधिकांश भाग प्राकृतिक और कुछ हिस्सा मानव निर्मित है. मिट्टी के इस परकोटे के अन्दर प्रताप दुर्ग एवं राजपरिवार के लिये सफेद महल है.

गढ़ से निकलीं मूर्ति
मिट्टी के बने इसी परकोटे को ”गढ़“ कहा जाता है. इसी गढ़ में महावीर हनुमान और उनके परमवीर पुत्र मकरध्वज का यह मन्दिर है. इसे गढ़ वाले हनुमान मन्दिर के नाम से पहचाना जाता है. मान्यता है पिता-पुत्र दोनों की प्रतिमाएं इसी गढ़ में से प्रकट हुई हैं.

जर्जर हो रहा है मंदिर
मौजूदा समय में देखरेख के अभाव में मन्दिर का भवन जर्जर हो चुका है. मन्दिर में मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का तांता लगता है. हनुमान के साथ उनके पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालु अपने आपको धन्य मानते हैं.