सनातन धर्म में एकादशी तिथि विशेष महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. प्रत्येक माह एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने का विधान है. साथ ही इस दिन व्रत करने का भी विधान बताया गया है. साल में कई एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर एकादशी के व्रत की मान्यता अलग-अलग होती है, लेकिन एकादशी की तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है. फागुन माह की एकादशी तिथि 6 मार्च दिन बुधवार को है. जिसे विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है तो चलिए इस रिपोर्ट में आज जानते हैं एकादशी की शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
अयोध्या के ज्योतिषी नीरज भारद्वाज बताते हैं कि फागुन माह की एकादशी तिथि 6 मार्च को है. सुबह 6:30 से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रहा है जो 7 मार्च सुबह 4:13 पर समाप्त होगा. ऐसी स्थिति में विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा पाठ करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है.

भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ
विजय एकादशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. उसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए. एक साफ चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. उसके बाद पीले रंग का फल, फूल आदि विशेष सामग्री भगवान विष्णु को अर्पित करनी चाहिए. दीपक जलाकर भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करना चाहिए. भगवान विष्णु को खीर और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. उसके बाद पूरे दिन अगर संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से सुख समृद्धि का वास होता है और भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं.


ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

विजय एकादशी के दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जप करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं. अपनी कृपा हमेशा व्यक्ति के ऊपर बनाए रहते हैं.